मुख्य न्यायाधीश इंद्रजीत महांति एवं सभी न्यायाधीशों की मौजूदगी में मंगलवार को हुई समीक्षा बैठक में ग्रीष्मावकाश के बाद अदालती कार्यवाही के संचालन के तौर-तरीकों को लेकर बार संघों के प्रतिनिधियों को यह जानकारी दी गई। हालांकि मंगलवार शाम तक हाईकोर्ट प्रशासन ने अधिकारिक रूप से एसओपी या परिपत्र जारी नहीं किया था। राजस्थान हाईकोर्ट एडवोकेट्स एसोसिएशन के अध्यक्ष रणजीत जोशी ने बताया कि ग्रीष्मावकाश के बाद प्रत्येक पीठ में एक सौ मामले सूचीबद्ध होंगे, लेकिन इनमें नए, अत्यावश्यक तथा कोर्ट तिथि के मामले शामिल रहेंगे।
अन्य मामले परस्पर पक्षकारों की सहमति से सूचीबद्ध हो सकेंगे। समान प्रकृति के मामलों को एक प्रकरण माना जाएगा। सूचीबद्ध होने वाले मामलों की संख्या और कार्य के घंटे में समय-समय में संशोधन किया जाता रहेगा। कोरोना वायरस के संक्रमण को देखते हुए उपलब्धता के आधार पर ईवन या ऑड नंबर के कोर्ट रूम का उपयोग किया जाएगा। कोर्ट रूम के आकार के हिसाब से परस्पर दूरी सुनिश्चित करते हुए कुर्सियां लगाई जाएंगी। खाली कोर्ट रूम में सीमित संख्या में उचित दूरी के साथ अधिवक्ता बैठ सकेंगे। हाईकोर्ट परिसर में छोटे समूह में इक_ा नहीं होने पर रोक रहेगी।
सुनवाई के दोनों माध्यम
यह तय किया गया है कि ग्रीष्मावकाश के बाद सुनवाई के दोनों माध्यम रहेंगे। अधिवक्ता व्यक्तिगत उपस्थिति भी दे सकेंगे और वीडियो कांफ्रेंसिंग से भी अपनी दलीलें दे सकेंगे। वीडियो कांफ्रेंसिंग से केवल उन्हीं मामलों की सुनवाई होगी, जिनमें मामले नए होंगे या सभी अधिवक्ता वीसी से उपस्थिति दे सकते हों। पहले उन मामलों की सुनवाई होगी, जिनमें अधिवक्ता व्यक्तिगत रूप से उपस्थित होना चाहेंगे। वीसी से मामलों की सुनवाई के लिए दोपहर बाद 3.30 से 4.30 का समय नियत रहेगा। नए मामले व्यक्तिगत या ई-फाइलिंग के माध्यम से पेश किए जा सकेंगे।