संयुक्त राष्ट्र संघ (यूएनओ) से संबद्ध खाद्य एवं कृषि संगठन (एफएओ) के कीथ क्रीसमेन ने मंगलवार को भारत, पाकिस्तान, ईरान और अफगानिस्तान के साथ हुई बैठक में कहा कि दक्षिण पश्चिम एशिया में मानसूनी हवाओं के लौटने के साथ ही टिड्डी का खतरा भी खत्म हो गया है। यमन में टिड्डी के कुछ बड़े दल हैं, लेकिन अब वे अरब सागर पार नहीं कर सकते।
पाक में कुछ हिस्सों में छितराई टिड्डी
पाकिस्तान में सिंध-बलूचिस्तान की सीमा के पास कराची में कुछ टिड्डी मौजूद है। बहावलपुर के पास भी कुछ पॉकेट में टिड्डी रिपोर्ट की गई है। वैसे अधिकांश पाकिस्तान में टिड्डी खत्म हो चुकी है।
लाल सागर के दोनों ओर सर्दी में प्रजनन टिड्डी फिलहाल लाल सागर के दोनों और बसे देशों सऊदी अरब, इरिट्रिया, इथोपिया, जिबूती, यमन और सूडान में चली गई है। सर्दियों में टिड्डी इन्हीं देशों में प्रजनन करके अपनी संख्या बढ़ाएगी।
30 अप्रेल के बाद आए 100 से अधिक दल
इस साल भारत में पाकिस्तान की ओर से 11 अप्रेल को पहली बार टिड्डी के हॉपर आए। 30 अप्रेल से पाकिस्तान की ओर से टिड्डी दलों का आना शुरू हुआ जो जुलाई तक चलता रहा। अगस्त में इक्का-दुक्का टिड्डी दल आया। इस साल 111 टिड्डी दल रिपोर्ट किए गए।
……………………. ‘ मानसून जाने के साथ ही अब टिड्डी का खतरा टल गया है। इस बात की पुष्टि यूएनओ भी कर दी है। अब अगले साल पर हमारी नजर है।’ – डॉ केएल गुर्जर, उप निदेशक, टिड्डी चेतावनी संगठन जोधपुर