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मारवाड़ के सियासी संग्राम में किले की एक ही ईंट हिली, वह भी ‘महफूज’

locationजोधपुरPublished: Jul 15, 2020 11:11:13 am

गहलोत का दबदबा, धोरों में वीरानीसचिन पायलट की छुट्टी से मारवाड़ की कांग्रेसी राजनीति पर कोई खास असर नहीं

मारवाड़ के सियासी संग्राम में किले की एक ही ईंट हिली, वह भी ‘महफूज’

मारवाड़ के सियासी संग्राम में किले की एक ही ईंट हिली, वह भी ‘महफूज’

सुरेश व्यास/जोधपुर. प्रदेशाध्यक्ष व उप मुख्यमंत्री पद से सचिन पायलट की छुट्टी के बाद मारवाड़ की कांग्रेसी राजनीति पर कोई खास असर पड़ता नहीं दिख रहा। जोधपुर संभाग में वैसे भी मुख्यमंत्री अशोक गहलोत का दबदबा रहा है और पायलट छह साल प्रदेशाध्यक्ष रहने के बावजूद इस इलाके में अपना प्रभुत्व नहीं जमा पाए। आज जब ‘डू और डाई’ की स्थिति आई तब भी पायलट जोधपुर सम्भाग की 33 में से कांग्रेस के हिस्से आई 16 सीटों में से एक पर ही सैंध लगा पाए और वह भी आधी-अधूरी ही। गहलोत की पिछली सरकार में राजस्व मंत्री रहे बाड़मेर के गुड़ामलानी के विधायक हेमाराम चौधरी पायलट खेमे में नजर आए हैं, लेकिन पायलट के भाजपा में जाने या दूसरा दल बनाने की हालत में वे उनके साथ रहेंगे, इस पर खुद उनके नजदीकी लोगों को भी संदेह है।
सम्भाग में दलीय स्थिति की बात करें तो जोधपुर, बाड़मेर व जैसलमेर जिले के 19 में से 15 विधायक कांग्रेस के हैं। इनमें से मात्र हेमाराम चौधरी पायलट के खेमे में गए हैं। बाकी 14 गहलोत के साथ हैं। इसी तरह पाली, जालोर, सिरोही की चौदह में से मात्र एक सांचौर पर कांग्रेस को जीत मिली थी। वहां से जीते सुखराम विश्नोई गहलोत सरकार में वन मंत्री हैं। सिरोही से संयम लोढ़ा व पाली के मारवाड़ जंक्शन से खुशवीरसिंह जोजावर निर्दलीय जीते और गहलोत सरकार का समर्थन किया। इनमें से लोढ़ा खुलकर गहलोत के साथ हैं और खुशवीर का नाम एसीबी की पीई में आने के बाद उनकी कांग्रेस संबंद्धता खत्म हो गई है। भाजपा की सम्भाग में 14 सीटें हैं। इनमें से सर्वाधिक 11 पाली, जालोर, सिरोही में है। इन जिलों में उसे किसी चुनौती का खतरा नहीं है और कांग्रेस के पास वहां खोने के लिए कुछ नहीं है।
गहलोत का दबदबा
संभाग के छह जिलों जोधपुर, पाली, जालोर सिरोही, बाड़मेर और जैसलमेर में कांग्रेस की राजनीति में गहलोत की पूरी पकड़ है। यहां के कांग्रेस उनके लिए ‘अशोक नहीं ये आंधी है, मारवाड़ का गांधी है…’ जैसा नारा लगाते रहे हैं। ऐसे में प्रदेश कांग्रेसाध्यक्ष रहते हुए भी पायलट न तो अपनी पकड़ बना सके और न ही किसी गहलोत विरोधी बड़े नेता को मजबूती से खड़ा कर सके। प्रदेश कांग्रेस कमेटी के उपाध्यक्ष व कभी गहलोत के नजदीकी रहे जोधपुर के नेता पूर्व मंत्री राजेंद्र चौधरी जरूर पायलट के खास हैं और टोंक में भी उनका काम सम्भालते रहे हैं, लेकिन स्थानीय स्तर पर वे अपनी पकड़ साबित नहीं कर सके। हालांकि पाली, जालोर व सिरोही में कांग्रेस पिछले कई चुनावों से कमजोर साबित होती आई है, मगर वहां भी पाली के जिलाध्यक्ष चुन्नीलाल चाड़ावास व जालोर के जिलाध्यक्ष पूर्व विधायक समरजीत सिंह के अलावा पायलट अपने खेमे में किसी को नहीं ला सके। जैसलमेर के विधायक रूपाराम धणदे को जरूर उनके पक्ष में माना जाता था, लेकिन इस लड़ाई में खुलकर वे भी पायलट का समर्थन नहीं कर सके।
धोरों में वीरानी
संभाग के दोनों सीमावर्ती जिलों बाड़मेर-जैसलमेर में पूर्व मंत्री और बाड़मेर के गुढ़ामलानी से कांग्रेस के विधायक हेमाराम चौधरी जरूर पायलट के खेमे में गए हैं, लेकिन उनका अगला कदम पायलट के फैसले पर निर्भर करेगा। ऐसे में दोनों ही जिलों में कांग्रेस की राजनीति पर कोई खास फर्क पडऩा नजर नहीं आता। दोनों जिलों की 9 में से 8 सीटों पर कांग्रेस का कब्जा है। जैसलमेर की दोनों सीटें कांग्रेस के पास हैं। इनमें से जैसलमेर के विधायक रूपाराम धणदे की पोकरण से विधायक व मंत्री सालेह मोहम्मद से अनबन ने पायलट से नजदीकी बढ़ाई थी, लेकिन अब वह स्थिति नहीं है। बाड़मेर में हेमाराम के अलावा राजस्व मंत्री हरीश चौधरी समेत सभी 6 विधायक गहलोत समर्थक ही हैं। भाजपा का एक मात्र विधायक हमीरसिंह भायल (सिवाणा) है और वह मौजूदा राजनीति का कोई बड़ा फायदा उठाने की स्थिति में नहीं दिखती।
मारवाड़-गोड़वाड़ तो पहले ही खाली
संभाग के पाली, जालोर व सिरोही को मिलाकर बना मारवाड़-गोड़वाड़ क्षेत्र किसी जमाने में कांग्रेस का गढ़ रहा, लेकिन आज कांग्रेस इस इलाके में पूरी तरह खाली है। इलाके की चौदह विधानसभा सीटों में से कांग्रेस के खाते में मात्र एक जालोर की सांचौर सीट है। वहां से जीते सुखराम विश्नोई गहलोत सरकार में वन मंत्री हैं। इनके अलावा सिरोही से संयम लोढ़ा व पाली के मारवाड़ जंक्शन से खुशवीरसिंह जोजावर निर्दलीय हैं। दोनों कांग्रेस को समर्थन दे रहे थे। जोजावर का नाम एसीबी की प्राथमिक जांच में आने के बाद उनकी कांग्रेस से संबंद्धता खत्म हो गई। लोढ़ा खुलकर गहलोत का समर्थन कर रहे हैं। जोजावर को भी गहलोत का नजदीकी ही माना जाता रहा है। ऐसे में कांग्रेस के पास इस इलाके में खोने के लिए कुछ नहीं है। संगठनात्मक स्तर पर जरूरी पाली के जिलाध्यक्ष चुन्नीलाल चाड़वास ने इस्तीफा दिया है। जालोर के जिलाध्यक्ष समरजीत सिंह भी पायलट के नजदीकी हैं, लेकिन कोई खास फर्क पड़ता नजर नहीं आता। भाजपा को हमेशा इस इलाके में कांग्रेस की आपसी लड़ाई का फायदा मिला है और पिछले चुनाव में भी उसने 11 सीटें अपनी झोली में डाली थी। मौजूदा हालात में उसे चुनौती मिलती नजर नहीं आती।
जोधपुर संभाग की मौजूदा स्थिति

जोधपुर
कुल सीट- 10
कांग्रेस-7 (गहलोत-7, पायलट-0)
भाजपा–2
आरएलपी-1

बाड़मेर
कुल सीट- 7
कांग्रेस-6 (गहलोत-5, पायलट-1)
भाजपा- 1

जैसलमेर
कुल सीट- 2
कांग्रेस- 2 (गहलोत-2, पायलट-0)

पाली
कुल सीट- 6
भाजपा-5
निर्दलीय-1

जालोर
कुल सीट- 5
भाजपा-4
कांग्रेस -1 (गहलोत-1, पायलट-0)
सिरोही
कुल सीट- 3
भाजपा-2
निर्दलीय-1

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