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भारत-चीन युद्ध में शहीद पिता की यादें सहेजने के लिए हजारों किमी का सफर तय कर बेटी पंहुची बामणू गांव

महेश कुमार सोनीफलोदी. भारत-चीन युद्ध 1962 में शहीद हुए कैप्टन जोन अल्बर्ट दल्बी की यादों को सहेजने के लिए उनकी बेटी पिता के साथियों से मिलकर उनके बारे में जानकारियां जुटा रही है। फलोदी के बामणू गांव के तीन एैसे भूतपूर्व सैनिक है, जो कैप्टन जोन अल्बर्ट के साथ तैनात थे। वर्तमान में ऑस्ट्रेलिया में रह रही शहीद कैप्टन की बेटी चार्ली दल्बी शनिवार को बामणू गांव पंहुची। जहां ग्रामीणों ने उनका ढोल-नगाड़ों का साथ भव्य स्वागत किया तथा पिता के साथ तैनात रहे सैनिकों ने पुरानी यादों को साझा किया, तो चार्ली की आंखे छलक उठी।

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भारत-चीन युद्ध में शहीद पिता की यादें सहेजने के लिए हजारों किमी का सफर तय कर बेटी पंहुची बामणू गांव

भारत-चीन युद्ध में शहीद पिता की यादें सहेजने के लिए हजारों किमी का सफर तय कर बेटी पंहुची बामणू गांव

शहीद केप्टन अल्बर्ट की बेटी चार्ली के बामणू आगमन पर पंचायत भवन में आयोजित स्वागत समारोह में ग्रामीणों ने उनको मालाओं से लाद दिया तथा स्मृ़ति चिन्ह भेंट कर अभिनन्दन किया। इस दौरान चार्ली ने सैनिकों का सम्मान किया तथा कार्यक्रम को सम्बोधित करते हुए भूतपूर्व सैनिकों व ग्रामीणों का आभार जताया। इस अवसर पर कैप्टन विजयसिंह चांपावत, नायक गिरधारीसिंह चौहान, हवलदार नारायणसिंह नारावत, श्रवणसिंह, लक्ष्मणसिंह फौजी, रतनसिंह, रामसिंह, चन्द्रवीरसिंह भाटी, दीपसिंह, कमल सिंह, करणसिंह ढढू, कैप्टन राणीदानसिंह कोलू, उगमसिंह, गोविन्द सिंह, पदमसिंह, इन्द्रसिंह, गंगासिंह, कंवराजसिंह, किशनसिंह, नरपतसिंह, दीपाराम, फूलाराम, ओमसिंह मड़ला सरपंच, बाबूराम जाणी, भवानीसिंह चांदसमा, भंवरसिंह, गणपतसिंह चौहान आदि उपस्थित रहे।
पिता को तो देखा नहीं, अब साथियों से ले रही जानकारी-
भारत-चीन युद्ध के दौरान 5 फील्ड रेजीमेंट में तैनात बंगलुरू निवासी कैप्टन जोन अल्बर्ट 18 नवम्बर 1962 को शहीद हो गए थे। उस समय उनकी बेटी चार्ली करीब 6 माह की ही थी। पिता के शहीद हो जाने के बाद चार्ली ऑस्ट्रेलिया चली गई और अब 40 साल बाद भारत आई है। चार्ली ने यूनिट में जाकर पिता के साथ में युद्ध के दौरान सेलापास, बाउण्डेला व त्वांग में तैनात सार्थियों के बारे में पता किया और अब चार्ली अपने पिता के साथियों के मिलकर पिता के बारे में जानकारी ले रही है। साथ ही चार्ली कई स्थानों पर जाकर पिता की यादों को सहेज रही है।
पिता के बारे में सुनकर छलक पड़े आंसू-
यहां बामणू गांव के भूतपूर्व सैनिक कैप्टन विजयसिंह चांपावत, नायक गिरधारीसिंह चौहान, हवलदार नारायणसिंह नारावत भारत-चीन युद्ध के दौरान शहीद कैप्टन अल्बर्ट के साथ सीमा पर तैनात थे। आज चार्ली ने अपने पिता के बारे में बामणू के सैनिकों से जानकारियां ली और युद्ध की परिस्थितियों व पिता के शहीद होने का पूरा घटनाक्रम सुना, तो चार्ली की आंखे छलक पड़ी।