इस बार अक्षय तृतीया के दिन 14 मई को सुकर्मा योग बन रहा है । ज्योतिष शास्त्र के अनुसार 12 महीने में 11 माह ऐसे हैं , जिसमें युगादि , मन्वादि तिथियों का संयोग आता है। जिस समय युग का आरंभ हुआ हो , वह युगादि तिथि का केंद्र बिंदु चक्र में आता है , हालांकि यह स्पष्ट है कि मूल रूप से युगादि तिथि वैशाख शुक्ल तृतीया मानी गई है , परंतु इसमें दक्षिण का गणित थोड़ा अलग है । इस बार अक्षय तृतीया को तिथि 60 घटी की रहेगी। मृगशिरा नक्षत्र , सुकर्मा योग , तैतिल करण तथा वृषभ राशि का चंद्रमा रहेगा । शास्त्रीय मान्यता के आधार पर अक्षय तृतीया पर दो घट का विधिवत पूजन करके दान करना चाहिए । इस दिन किया गया दान अक्षय माना जाता है। पितरो का तर्पण और पिण्डदान करना भी शुभ है।