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Shardiya Navratri 2023: जब जोधपुर पर गिरे बमों पर मां चामुंडा ने अपने आंचल का कवच पहना दिया

आद्यशक्ति मां चामुंडा की स्तुति में कहा गया है कि जोधपुर के किले पर पंख फैलाने वाली माता तू ही हमारी रक्षक है।

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अम्बा थ्हारो आसरो ,
तूं ही है रखवार ।।
चावण्ड थ्हारी गोद में
खेल रयौ जोधाण
तूं ही नींगै राखजै,
थ्हारा टाबर जाण।।

जोधपुर। आद्यशक्ति मां चामुंडा की स्तुति में कहा गया है कि जोधपुर के किले पर पंख फैलाने वाली माता तू ही हमारी रक्षक है। मेहरानगढ़ दुर्ग के बुर्ज पर महालक्ष्मी, बेछराजजी व मां सरस्वती के साथ विराजित माता चामुण्डा की मूर्ति को राव जोधा ने 564 वर्ष पूर्व विक्रम संवत् 1517 में मंडोर से लाकर स्थापित किया था। मां चामुण्डा मूलत: प्रतिहारों की कुलदेवी थी। राव जोधा ने उन्हें अपनी ईष्ट देवी के रूप में स्वीकार कर किले में स्थापित किया।

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मंडोर से लाकर मेहरानगढ़ में स्थापित की थी मां चामुण्डा की मूर्ति
जोधपुरवासियों में चामुंडा माता के प्रति अटूट आस्था यह भी है कि 1971 में भारत-पाक युद्ध के दौरान जोधपुर पर गिरे बम को मां चामुंडा ने अपने आंचल का कवच पहना दिया था। किले व जोधपुर के कुछ हिस्सों पर कई बम गिराए गए, लेकिन कोई जनहानि या नुकसान नहीं हुआ। जोधपुर शहरवासी इसे आज भी मां चामुण्डा की कृपा ही मानते हैं। जोधपुर के मेहारानगढ़ के मां चामुण्डा मंदिर की मूर्ति को जोधपुर के संस्थापक राव जोधा ने 564 साल पूर्व मंडोर से लाकर स्थापित किया था। चामुंडा मूलत: परिहारों की कुलदेवी और राठौड़ों की इष्टदेवी है।

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राव जोधा ने जब मंडोर छोड़ा तब चामुंडा को अपनी इष्टदेवी के रूप स्वीकार किया था। किले में 9 अगस्त 1857 को गोपाल पोल के पास अस्सी हजार मण बारूद के ढेर पर बिजली गिरने के कारण विस्फोट के समय राव जोधाकालीन मंदिर क्षत विक्षत हो गया, लेकिन मूर्ति अपने स्थान पर यथावत सुरक्षित रही। तबाही इतनी भीषण थी इसमें 300 से अधिक लोग मारे गए थे। उस समय जोधपुर के महाराजा तख्तसिंह बालसमंद महल में थे। महाराजा तख्तसिंह ने मुख्य मंदिर का पुन: विधिवत निर्माण कार्य करवाया था। मंदिर में मां लक्ष्मी, मां सरस्वती व बैछराजजी की मूर्तिया स्थापित हैं। बैछराजजी की मूर्ति जिनकी सवारी मुर्गे पर उसे महाराजा तख्तसिंह अहमदनगर से लेकर आए थे।


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