गुलामी से आजाद होने के लिए भारत आए
बनाड़ के नांदड़ा खुर्द में सोढ़ों की ढाणी निवासी आतमराम ने बताया कि उसकी मां जमनादेवी पत्नी कबीराराम का जन्म सन् 1948 में हुआ था। बंटवारे के समय उसके माता-पिता पाकिस्तान के पंजाब प्रांत में चले गए थे। वहां कई साल परिवार के साथ एक जमींदार के खेतों में काम करते हुए गुलामी की जिदंगी जी रहे थे। इससे परेशान होकर सन् 2006 में जमनादेवी मंदिर जाने के बहाने परिवार सहित जोधपुर आ गई। उसकी मां की आखरी इच्छा थी कि मरने से पहले वह भारतीय कहलाए। उन्होंने सन् 2015 में परिवार के 10 सदस्यों के लिए भारतीय नागरिकता का आवेदन किया था। जमना देवी के नागरिकता के दस्तावेज पर शुक्रवार देर रात को जिला कलक्टर ने हस्ताक्षर किए। जमनादेवी का नागरिकता प्रमाण पत्र रविवार उनके पुत्र को दिया जाएगा।
बनाड़ के नांदड़ा खुर्द में सोढ़ों की ढाणी निवासी आतमराम ने बताया कि उसकी मां जमनादेवी पत्नी कबीराराम का जन्म सन् 1948 में हुआ था। बंटवारे के समय उसके माता-पिता पाकिस्तान के पंजाब प्रांत में चले गए थे। वहां कई साल परिवार के साथ एक जमींदार के खेतों में काम करते हुए गुलामी की जिदंगी जी रहे थे। इससे परेशान होकर सन् 2006 में जमनादेवी मंदिर जाने के बहाने परिवार सहित जोधपुर आ गई। उसकी मां की आखरी इच्छा थी कि मरने से पहले वह भारतीय कहलाए। उन्होंने सन् 2015 में परिवार के 10 सदस्यों के लिए भारतीय नागरिकता का आवेदन किया था। जमना देवी के नागरिकता के दस्तावेज पर शुक्रवार देर रात को जिला कलक्टर ने हस्ताक्षर किए। जमनादेवी का नागरिकता प्रमाण पत्र रविवार उनके पुत्र को दिया जाएगा।