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शीन काफ निजाम ने बापू को उर्दू प्रेमी और विभाजन विरोधी बताया

locationजोधपुरPublished: Oct 20, 2019 08:32:14 pm

Submitted by:

M I Zahir

जोधपुर.जबानें लोगों को जोडऩे के लिए होती हैं और गांधी ( Mahatma Gandhi ) लोगों को जोड़ रहे थे। गांधी ने कहा था कि अगर तकसीम (विभाजन) होगी तो मेरी लाश पर होगी। यह बात अंतरराष्ट्रीय ख्याति प्राप्त शाइर शीन काफ निजाम ( sheen kaaf nizam ) ने कही। वे साहित्य अकादमी ( Sahitya Academy ) और राजस्थान उर्दू अकादमी ( rajasthan urdu academy ) की साझा मेजबानी में रविवार को घूमर के बैंक्वेट हॉल में आयोजित ‘महात्मा गांधी और उर्दू’ विषयक अखिल भारतीय सेमिनार में अध्यक्षीय उदबोधन दे रहे थे।

Sheen Kaf Nizam said Bapu as Urdu lover and anti-partition

Dr. Nandkishore Acharya said that spirituality has nothing but morality

जोधपुर. जबानें लोगों को जोडऩे के लिए होती हैं और गांधी ( Mahatma Gandhi ) लोगों को जोड़ रहे थे। गांधी ने भारत का विभाजन करने के सवाल पर कहा था कि अगर तकसीम (विभाजन) होगी तो मेरी लाश पर होगी। यह बात अंतरराष्ट्रीय ख्याति प्राप्त शाइर शीन काफ निजाम ( sheen kaaf nizam ) ने कही। वे साहित्य अकादमी ( Sahitya Academy ) और राजस्थान उर्दू अकादमी ( rajasthan urdu academy ) की साझा मेजबानी में महात्मा गांधी की 150 वी जयंती के उपलक्ष्य में रविवार को घूमर के बैंक्वेट हॉल में आयोजित ‘महात्मा गांधी और उर्दू’ ( urdu news in hindi ) विषयक अखिल भारतीय सेमिनार में अध्यक्षीय उदबोधन दे रहे थे। उनका कहना था कि विश्व प्रिय स्वदेशी भाषा उर्दू गंगा जमनी तहजीब, हिन्दुस्तानियत और राष्ट्रीयता की भाषा है। इस भाषा ने स्वतंत्रता संग्राम में महत्वपूर्ण योगदान दिया था।
साहित्य अकादमी दिल्ली में उर्दू के कन्वीनर निजाम ने कहा कि दुनिया के हर मजहब और जबान का सम्बन्ध अहिंसा से ही है। भाषा, संस्कृति की पहचान है, जो इसे निर्मित भी करती है और इसकी हिफाजत भी करती है। आदमी से इन्सान होने की यात्रा हिंसा से अहिंसा की ओर बढऩा ही तो है। लिहाजा एहसास और जज़्बात को नियन्त्रण करना भी अहिंसा का विस्तृत रूप हैं।
मुख्य अतिथि प्रख्यात गांधीवादी विचारक और आलोचक बीकानेर के डॉ.नंदकिशोर आचार्य ( Nandkishore Acharya ) ने कहा कि आध्यात्मिकता में नैतिकता के सिवा कुछ नहीं होता, नैतिक होना ही आध्यात्मिक होना है। सत्य पर जब आक्रमण हो, तब उसका प्रतिरोध करना आवश्यक हो जाता है.., गांधी के इस दर्शन को इंगित करने वाले सत्र में स्वागत उदबोधन दिया। साहित्य अकादमी के सहसम्पादक अजयकुमार शर्मा ने आभार जताया।
महात्मा गांधी और उर्दू विषयक प्रथम सत्र की अध्यक्षता करते हुए प्रख्यात शिक्षाविद पद्मश्री प्रोफेसर अख्तरुल वासे ( Akhtarul wase ) ने कहा कि किसी भी जबान के जिन्दा रहने और ना रहने के लिए उसके बालेने वालों की जिम्मेदार बताया। इस सत्र में चम्पारण के नसीम अहमद नसीम और आफताब अहमद आफाकी ने पत्रवाचन किया। मुंबई क अंत में साहित्य अकादमी में उर्दू के कन्वीनर शीन काफ निजाम ने शुक्रिया अदा किया। प्रख्यात आलोचक शमीम तारिक ( Shamim Tariq ) ने दूसरे सत्र की अध्यक्षता करते हुए महात्मा गांधी के नजदीक दोनो जबानों में समानांतर रिश्ता बताते हुए कहा कि हिन्दुस्तानी का मतलब ही उर्दू और हिन्दी दोनों जबानें अपनी लिपि के साथ जिन्दा रहें। इस सत्र में अली अहमद फातमी ( Ali Ahmed Fatmi ) ने महात्मा गांधी और भारत विभाजन विषय पर शोधपूर्ण व एेतिहासिक गुफ्तगू की। वहीं शमशाद अली व अबू जहीर रब्बानी ने परचे पढ़े। अंत में साहित्य अकादमी में उर्दू के कन्वीनर शीन काफ निजाम ने शुक्रिया अदा किया।
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