मुख्य अतिथि प्रख्यात गांधीवादी विचारक और आलोचक बीकानेर के डॉ.नंदकिशोर आचार्य ( Nandkishore Acharya ) ने कहा कि आध्यात्मिकता में नैतिकता के सिवा कुछ नहीं होता, नैतिक होना ही आध्यात्मिक होना है। सत्य पर जब आक्रमण हो, तब उसका प्रतिरोध करना आवश्यक हो जाता है.., गांधी के इस दर्शन को इंगित करने वाले सत्र में स्वागत उदबोधन दिया। साहित्य अकादमी के सहसम्पादक अजयकुमार शर्मा ने आभार जताया।
महात्मा गांधी और उर्दू विषयक प्रथम सत्र की अध्यक्षता करते हुए प्रख्यात शिक्षाविद पद्मश्री प्रोफेसर अख्तरुल वासे ( Akhtarul wase ) ने कहा कि किसी भी जबान के जिन्दा रहने और ना रहने के लिए उसके बालेने वालों की जिम्मेदार बताया। इस सत्र में चम्पारण के नसीम अहमद नसीम और आफताब अहमद आफाकी ने पत्रवाचन किया। मुंबई क अंत में साहित्य अकादमी में उर्दू के कन्वीनर शीन काफ निजाम ने शुक्रिया अदा किया। प्रख्यात आलोचक शमीम तारिक ( Shamim Tariq ) ने दूसरे सत्र की अध्यक्षता करते हुए महात्मा गांधी के नजदीक दोनो जबानों में समानांतर रिश्ता बताते हुए कहा कि हिन्दुस्तानी का मतलब ही उर्दू और हिन्दी दोनों जबानें अपनी लिपि के साथ जिन्दा रहें। इस सत्र में अली अहमद फातमी ( Ali Ahmed Fatmi ) ने महात्मा गांधी और भारत विभाजन विषय पर शोधपूर्ण व एेतिहासिक गुफ्तगू की। वहीं शमशाद अली व अबू जहीर रब्बानी ने परचे पढ़े। अंत में साहित्य अकादमी में उर्दू के कन्वीनर शीन काफ निजाम ने शुक्रिया अदा किया।
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