6 दिसंबर 2025,

शनिवार

Patrika LogoSwitch to English
home_icon

मेरी खबर

icon

प्लस

video_icon

शॉर्ट्स

epaper_icon

ई-पेपर

मौत का सौदागर है पत्थरों का शहर जोधपुर, अवैध रूप से हो रही ड्राई ड्रिलिंग दे रही सिलिकोसिस का दर्द

ब्लूसिटी अब पत्थरों के शहर के तौर पर दुनिया में पहचान रखता है। पत्थर का खनन औसत कारोबार जितना रोजगार और अर्थव्यवस्था को सहारा देने वाला है उतना ही मौत का सौदागर भी है। इस व्यापार का उजला पक्ष समृद्धि और श्रमिकों की आजीविका के रूप में हमारे सामने है।

2 min read
Google source verification
silicosis is increasing in labors of jodhpur due to dry drilling

मौत का सौदागर है पत्थरों का शहर जोधपुर, अवैध रूप से हो रही ड्राई ड्रिलिंग दे रही सिलिकोसिस का दर्द

अविनाश केवलिया/जोधपुर. ब्लूसिटी अब पत्थरों के शहर के तौर पर दुनिया में पहचान रखता है। पत्थर का खनन औसत कारोबार जितना रोजगार और अर्थव्यवस्था को सहारा देने वाला है उतना ही मौत का सौदागर भी है। इस व्यापार का उजला पक्ष समृद्धि और श्रमिकों की आजीविका के रूप में हमारे सामने है। जबकि दूसरा काला पक्ष सिलिकोसिस बीमारी की शक्ल में में उभरता है। इस बीमारी को काबू करने के लिए भली ह। लाख दावे किए जाएं, धरातल पर सब फेल हैं। खान सुरक्षा सप्ताह के नाम से चल रहे विशेष अभियान के दौरान खनन क्षेत्रों में उड़ते ‘सिलिका’ के जानलेवा कण इसकी पोल खोलते हैं।

जोधपुर के छीतर के पत्थर ने पूरे विश्व में ख्याति पाई है। लेकिन इसी पत्थर के खनन ने कई लोगों को जिंदगी भर का जख्म भी दिया है। कई मरीज सिलिकोसिस पीडि़त के रूप में चिह्नित हैं। अन्य मरीज को टीबी दवा देकर ही चिकित्सा महकमा इतिश्री कर लेता है। अवैध होते हुए भी जोधपुर में धड़ल्ले से हो रही ड्राइ ड्रिलिंग इसका मुख्य कारण है। सरकारी दावा तो 10 से 20 प्रतिशत ड्राई ड्रिलिंग का है, लेकिन हकीकत यह है कि आंकड़ा 75 प्रतिशत से भी अधिक है। इसी कारण लगातार सिलिकोसिस के मरीज सामने आ रहे हैं।

सांसों में ऐसे घुल रहा जहर
शहर में ड्राई ड्रिलिंग पर प्रतिबंध है। लेकिन हकीकत यह है कि जोधपुर में उद्योगों के लिए पानी की उपलब्ध नहीं होने के कारण अवैध रूप से ड्राई ड्रिलिंग हो रही है। ऐसे में हर क्षण खदानों से निकलने वाले सिलिका के कण मजदूरों के फेफड़ों को बीमार कर रहे हैं।

सिलिकोसिस पीडि़तों पर हर दिन सवा लाख खर्च
सिलिकोसिस पीडि़तों की सहायता के लिए राज्य सरकार ने सहायता राशि भी तय कर रखी है। खनिज विभाग की ओर से पिछले पांच साल से यह राशि ड्रिस्ट्रिक मिनरल फाउंडेशन के तहत दी जा रही है। 24 करोड़ की राशि अब तक पांच साल में इन पीडि़तों को मुआवजे के रूप में दी गई है। इस लिहाज से एक लाख 31 हजार की राशि प्रतिदिन जोधपुर जिले में इन पीडि़तों पर खर्च होती है। यदि इतनी ही राशि को ड्राइ डिलिंग के विकल्प के रूप में खर्च किया जाता तो इस रोग से बचाव किया जा सकता था।

अब खान सप्ताह में इस विकल्प का डेमो
खान सप्ताह के तहत खान मजदूर सुरक्षा अभियान ट्रस्ट की ओर से ऐसे विकल्प खनन क्षेत्रों में जाकर बताए जा रहे हैं। इस ट्रस्ट से जुड़े राना सेनगुप्ता ने बताया कि ड्राइ ड्रिलिंग से बचाव के लिए इस मशीन का विकल्प दिया गया है। माइनिंग विभाग के अधिकारियों ने भी यह प्रजेंटेशन देखा है। अब इसे हर खदान में लागू करने की तैयारी है।

फैक्ट फाइल
- 11 हजार से ज्यादा सिलिकोसिस के मरीज है प्रदेश में औपचारिक रूप से।
- 16 हजार से ज्यादा संख्या जिनको चिह्नित नहीं किया गया।
- 1500 के करीब मरीज जोधपुर जिले में चिह्लित
- 12 हजार 500 खदानें हैं जोधपुर जिले में।
- 6 हजार खदानें जोधपुर शहर के आस-पास।
- 24 करोड़ का मुआवजा पांच साल में बांटा जा चुका है पांच साल में।

इनका कहना है...
खान सुरक्षा सप्ताह के तहत लोगों को जागरूक कर रहे हैं। ऐसे विकल्प भी खान मजदूरों के सामने रख रहे हैं जिससे ड्राई ड्रिलिंग का विकल्प मिल सके। सिलिकोसिस को बढऩे से रोकने के प्रयास किए जा रहे हैं।
- श्रीकृष्ण शर्मा, माइनिंग इंजीनियर, जोधपुर