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मेहरानगढ़ दुर्ग में जंजीरों से बंधे रहते थे भैरू, अब धारण कराए घुंघरू

मारवाड़ के गांव-गांव में पूजे जाने वाले भैरू के प्रताप से मेहरानगढ़ दुर्ग भी अछूता नहीं है और इसमें भैरुजी के कई थान है।

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जोधपुर। मारवाड़ के गांव-गांव में पूजे जाने वाले भैरू के प्रताप से मेहरानगढ़ दुर्ग भी अछूता नहीं है और इसमें भैरुजी के कई थान है। दुर्ग में एक गुंजारवाला काला-गोरा भैरूजी है, जो सांकलों (जंजीरों) से बंधे रहते थे, अब घुंघरू धारण कराए गए है। गुंजार का अर्थ तलघर अथवा अंडरग्राउण्ड होता है। दुर्ग के दौलतखाना चौक के तलघर में काला गोरा भैरुजी के आकार चट्टानों पर उकेरे गए हैं। इस मंदिर के नाम के साथ अनेक किंवंदतियां प्रचलित हैं, जैसे यह भैरुजी भैरोंसिंह नामक किसी जागीरदार को इसी तलघर बंदी बनाकर रखा गया था। जहां बंदी काल में उसकी मृत्यु हो गई। मृत्यु के बाद जब उसने उत्पात करना शुरू किया। तब उसकी आत्मा को शांति प्रदान करने के उद्देश्य से यहां स्थापित कर दिया गया। राज्य परिवार में विवाह के बाद दौलतखाना चौक तलघर स्थित भैरूजी के यहां जात देनी पड़ती है। यहां आज भी बड़ी संख्या में लोग दर्शन के लिए आते हैं।

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भीतरी शहर ब्रह्मपुरी में 20 से ज्यादा भैरू के स्थान
शहर की प्राचीन ब्रह्मपुरी में विभिन्न गली-मोहल्लों के बाहर करीब 20 से अधिक बटुक, काला-गोरा भैरू विराजमान है, जो क्षेत्र के लोगों की रक्षा कर रहे हैं।

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मनोकामनाएं पूरी करते है किला रोड स्थित रिक्तेश्वर भैरू मंदिर
पुराने जमाने में भीतरी शहर तक विकसित शहर के लोगों की रक्षा के रूप में क्षेत्रपाल भैरू जगह-जगह स्थापित है। जिनकी आज भी पूजा की जाती है। किला रोड स्थित रिक्तेश्वर भैरूनाथ मंदिर के बारे में क्षेत्र के बुजुगों व भक्तों का कहना है कि बहन के जीवन में भाई की रिक्तता को पूरी करने के लिए आउवा से बटुक रूप में आए यहां आए और विराजित हुए। इसलिए इन्हें रिक्तेश्वर भैरूनाथ के नाम से जाना जाता है। यह पुत्र, धन व सभी मनोकामनाओं को पूरी करने वाले है।

यह भी भैरूजी के स्थान
मेहरानगढ़ म्यूजियम ट्रस्ट के अधिकारियों के अनुसार, दुर्ग में अन्य स्थानों पर भी भैरूजी के मंदिर है। जहां नित्य पूजा की जाती है।
- भैरोपोल पाज वाले भैरूजी
- चोखेलाव वाले भैरूजी
- झरनेश्वर मंदिर के पास भैरूजी