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मैच के दौरान ही पता चला कि सड़क हादसे में हो गई है पति की मौत, फिर भी नहीं छोड़ा टीम का साथ

एक खिलाड़ी के लिए खेल और खेल की भावना क्या मायने रखती है, इस बात का जीवंत उदाहरण पेश किया है पंचायत समिति धवा ब्लॉक के राजकीय उच्च माध्यमिक विद्यालय जानादेसर की कबड्डी खिलाड़ी छात्रा शोभा चौधरी ने

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धुंधाड़ा। एक खिलाड़ी के लिए खेल और खेल की भावना क्या मायने रखती है, इस बात का जीवंत उदाहरण पेश किया है पंचायत समिति धवा ब्लॉक के राजकीय उच्च माध्यमिक विद्यालय जानादेसर की कबड्डी खिलाड़ी छात्रा शोभा चौधरी ने। उसे खेल के दौरान मैदान में यह पता चला कि उसके मंगेतर की सड़क हादसे में मौत हो गई है, इसके बावजूद शोभा ने मैदान नहीं छोड़ा और साथी खिलाड़ियों का मनोबल नहीं टूटे, इसके लिए पूरे मैच के दौरान इस बात का जिक्र किसी साथी खिलाड़ी से नहीं किया। यहां तक कि अपनी कप्तानी में उसने सामने वाली टीम पर ही नहीं, बल्कि अपने जज्बातों पर भी भारी पड़ते हुए टीम को मैच भी जिताया।

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वर्तमान में जोधपुर में चल रहे जिला स्तरीय राजीव गांधी ग्रामीण ओलंपिक में धवा ब्लॉक की महिला कबड्डी टीम की कप्तान शोभा चौधरी कजरी तीज के दिन जोधपुर में अपना मैच खेल रही थी। इस दौरान उसे पता चला कि उसके मंगेतर की एक सड़क हादसे में मौत हो गई है। यह दुखद समाचार सुनकर एकबारगी तो वह सदमे में आ गई, लेकिन फिर खेल और खेल भावना का ख्याल रखते हुए उसने अपने जज्बातों को रोका और टीम भावना का परिचय देते हुए न तो किसी साथी खिलाड़ी को इस बारे में बताया और न ही अपने चेहरे पर ही कोई सिकन आने दी। यहां तक कि मैच के दौरान पूरी शिद्दत से खेलते हुए शोभा ने अपनी टीम को जिताकर अपने नाम के मुताबिक अपने खेल की भी शोभा बढ़ा दी। बाद में जब साथी खिलाडिय़ों व टीम कोच एवं राजकीय उच्च माध्यमिक विधालय जानादेसर की वरिष्ठ शारीरिक शिक्षिका सीमा को भी इस बारे में पता चला तो सभी ने उसकी हिम्मत और खेल भावना की जमकर सराहना की।

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नेशनल खेल चुकी हैं शोभा
धवा ब्लॉक की बालिका कबड्डी खिलाड़ी शोभा चौधरी शुरुआत से ही खेलों में रुचि रखती रही हैं और अपने स्कूल की शारीरिक शिक्षक व कोच सीमा के मार्गदर्शन में कबड्डी के अच्छे खासे दांवपेंच भी सीख लिए हैं। जिसकी बदौलत वह चार बार स्कूल खेलकूद प्रतियोगिताओं में स्टेट लेवल पर एवं एक बार नेशनल लेवल तक खेल चुकी हैं। वह अपनी स्कूल की शारीरिक शिक्षिका एवं कबड्डी की नेशनल खिलाड़ी सीमा को ही अपना आइडल मानती है, जिनकी बदौलत वह इस मुकाम पर पहुंची है।

दिल का एक वॉल्व है खराब
कबड्डी की होनहार खिलाड़ी शोभा चौधरी के लिए विडंबना की बात यह भी है कि उसके दिल का एक वॉल्व जन्म से ही खराब है और इसकी वजह से उसे सांस लेने में भी भारी तकलीफ रहती है। इसके बावजूद भी उसने अपने खेल को निखारते हुए नेशनल लेवल तक मुकाम बनाया है, लेकिन परिवार की आर्थिक स्थिति अनुकूल नहीं होने के कारण घरवाले भी उसके वॉल्व का ऑपरेशन करने में असमर्थ हैं। शोभा ने बताया कि उसकी सबसे बड़ी इच्छा यही है कि वह देश के लिए कबड्डी खेले और वो भी अपने कोच के मार्गदर्शन में।