7 दिसंबर 2025,

रविवार

Patrika LogoSwitch to English
home_icon

मेरी खबर

icon

प्लस

video_icon

शॉर्ट्स

epaper_icon

ई-पेपर

Sukhoi Fighter Aircraft: दुश्मन देश को लगेगा झटका, अब इस तकनीक से अपग्रेड होंगे लड़ाकू विमान सुखोई

वायुसेना दिवस विशेष: जोधपुर में है सुखोई की दो स्क्वाड्रन, डीआरडीओ ने बनाया स्वदेशी उत्तम रडार, जोधपुर डिफेंस एक्सपो में किया था प्रदर्शित

2 min read
Google source verification
Sukhoi Fighter Aircraft

Sukhoi Fighter Aircraft: देश में अग्रिम पंक्ति के फाइटर जेट सुखोई-30 एमकेआई को स्वदेशी तकनीक से अपग्रेड किया जा रहा है। विशेषकर इसमें रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) की ओर से विकसित स्वदेशी उत्तम रडार यानी एक्टिव इलेक्ट्रॉनिकली स्कैन्ड ऐरे (एईएसए) लगाया जा रहा है, जो सुखोई-30 को चौथी पीढ़ी के लड़ाकू विमान से 4.5 पीढ़ी का लड़ाकू विमान की क्षमता प्रदान करेगा। पिछले महीने जोधपुर में हुए डिफेंस एविएशन एक्सपो में डीआरडीओ ने उत्तम रडार का प्रदर्शन किया था।

देश में वर्तमान में 259 सुखोई-30 लड़ाकू विमान हैं, जो चौथी पीढ़ी के जेट हैं। जोधपुर एयरबेस पर वायुसेना की दो स्क्वाड्रन में सुखोई-30 विमान हैं, जिनकी संख्या करीब 36 है। रूस से टेक्नोलॉजी ट्रांसफर के बाद हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड की ओर से सुखोई का उत्पादन किया गया है। वर्तमान में पांचवीं पीढ़ी के लड़ाकू विमान आ रहे हैं। रफाल 4.5 पीढ़ी का लड़ाकू विमान है। ऐसे में सुखोई की क्षमता बढ़ाने के लिए अब इसे अपग्रेड किया जा रहा है।

तेजस के लिए विकसित, सुखोई में भी लगेगा

उत्तम रडार स्वदेशी लड़ाकू विमान तेजस एमके-ए के लिए बनाया गया है, लेकिन यह एक मल्टी-मोड सॉलिड-स्टेट एक्टिव फेज्ड ऐरे फायर कंट्रोल रडार है, जिसमें एक स्केलेबल आर्किटेक्चर है यानी इसे विभिन्न प्रकार के लड़ाकू विमानों की नोज के आकार में ढाला जा सकता है।

जेमर के लिए एसएलसी चैनल, सिग्नल पकड़ना कठिन

उत्तम रडार अन्य लड़ाकू विमानों के जैमर के रूप में एसएलसी चैनल का उपयोग करता है, जिससे इलेक्ट्रॉनिक फारवेयर में लड़ाकू विमान की भूमिका बढ़ जाती है। लड़ाकू विमान की एयर-टू-एयर फाइट में यह काफी उपयोगी सिद्ध होता है। दुश्मन देश के रडार द्वारा उत्तम रडार के सिग्नल आसानी से डिटेक्ट नहीं होते हैं, जिसके चलते उत्तम रडार लड़ाकू विमान को स्टील्थ टेक्नोलॉजी के समान सुविधा प्रदान करता है। उत्तम रडार पूरी तरह से इलेक्ट्रॉनिक रूप से स्कैन हैै। इसकी ट्रांसमे रिकार्व मॉड्यूल टेक्नोलॉजी अचूक क्षमता में वृद्धि करती है। रडार में वाइडबैंड आरएफ फ्रंट एंड और अल्ट्रा-लो साइडलोब एंटीना है, जो इलेक्ट्रोमेग्नेटिक वातावरण में बेहतर डिटेक्शन करता है।

यह भी पढ़ें- Sawai Madhopur News: बुजुर्ग ने मगरमच्छ से लड़ी जंग, आंख पर किया हमला, मौत के मुंह से निकला