scriptश्रावण मास में तारीख पर तारीख नहीं तिथियों पर तिथियों का योग | Sum of dates on dates not dates in the month of Shravan | Patrika News

श्रावण मास में तारीख पर तारीख नहीं तिथियों पर तिथियों का योग

locationजोधपुरPublished: Jul 24, 2021 12:16:46 pm

Submitted by:

Nandkishor Sharma

29 दिवसीय सावन में तिथियों घटने-बढऩे के कारण कृष्ण पक्ष की द्वितिया एवं शुक्ल पक्ष की नवमी क्षय

श्रावण मास में तारीख पर तारीख नहीं तिथियों पर तिथियों का योग

श्रावण मास में तारीख पर तारीख नहीं तिथियों पर तिथियों का योग

NAND KISHORE SARASWAT

जोधपुर. बॉलीवुड हिट फिल्म दामिनी के लोकप्रिय संवाद तारीख पर तारीख की तर्ज पर इस बार श्रावण मास में तिथियों पर तिथियों का संयोग हो रहा है। जी हां … 29 दिन के श्रावण मास में सप्तमी के अगले दिन फिर सप्तमी तिथि आ रही है । ज्योतिषियों के अनुसार चंद्रमा का कोणीय चलन तिथियों का नामकरण तय करता है । अष्टमी के बाद दशमी, सप्तमी के बाद पुन: सप्तमी और प्रतिपदा के बाद सीधे तृतीया तिथि का योग अक्सर होता रहता है । ज्योतिष के जानकारों के अनुसार अमावस्या के दिन सूर्य और चंद्रमा के बीच अंतर जीरो डिग्री होता है । अगले लगभग 24 घंटे में चंद्रमा आगे बढ़ जाता है।
और यह अंतर 12 डिग्री हो जाता है। 12 डिग्री होने के लिए जो अवधि लगती है, उसे तिथि कहते हैं । चंद्रमा, पृथ्वी की परिक्रमा अंडाकार पथ में करता है । इस कारण चंद्रमा पृथ्वी से हमेशा समान दूरी पर नहीं रहता । इस कारण 12 डिग्री का कोण बनाने के लिए चंद्रमा को कभी ज्यादा चलना पड़ता है तो कभी कम, इसलिए तिथि की अवधि कभी 24 घंटे से अधिक होती है तो कभी कम। यह अवधि लगभग 26 घंटे और 19 घंटे के बीच हो सकती है।
समझें इस माह की तिथियों का तथ्य

तिथि बढ़ोतरी : श्रावण मास में 30 जुलाई को सप्तमी तिथि के अगले दिन 31 जुलाई को फिर सप्तमी तिथि आ जाएगी ।

तिथि क्षय : इसी तरह 25 जुलाई को प्रतिपदा के बाद 26 जुलाई को द्वितीया तिथि नहीं बल्कि सीधे तृतीया तिथि आ जाएगी । अगस्त 16 को अष्टमी के बाद 17 अगस्त को नवमी नहीं बल्कि दशमी तिथि आ जाएगी ।
श्रावण मास : सावन का महीना 25 जुलाई से 22 अगस्त तक रहेगा इसमें भी 29 दिन होंगे ।

होता रहता है तिथियों का क्षय और वृद्धि

प्रमुख ज्योतिषियों के अनुसार तिथियों का क्षय और वृद्धि होती रहती है। सूर्योदय के समय जो तिथि होती है, वही पूरे दिन मानी जाती है। भले ही सूर्योदय के कुछ ही मिनट बाद ही अगली तिथि आ रही हो। अगर किसी तिथि की अवधि 24 घंटे से अधिक है और वह सूर्योदय से कुछ देर पहले ही आरंभ हुई हो तो वह अगले सूर्योदय के बाद भी जारी रहेगी । इससे अगले दिन भी वही तिथि मानी जाएगी। इसे तिथि वृद्धि कहते हैं। यदि किसी तिथि की अवधि 24 घंटे से कम है और वह सूर्योदय के बाद आरंभ हुई और अगले सूर्योदय के पहले ही समाप्त हो गई, तो यह तिथि क्षय कहलाती है। जैसा कि इस श्रावण मास में कृष्ण पक्ष की द्वितिया एवं शुक्ल पक्ष की नवमी का क्षय होना है ।
loksabha entry point

ट्रेंडिंग वीडियो