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भारत में पाकिस्तान की तरफ से आता है ऐसा बड़ा खतरा, लेकिन दोनों देशों के बीच नहीं हो रही बात, जानिए पूरा मामला

भारत और पाकिस्तान के टिड्डी अधिकारियों की बैठक जून से लेकर नवम्बर माह तक प्रत्येक महीने एक दूसरे के देश में एकांतर क्रम में होती है

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जोधपुर। रेगिस्तानी टिड्डी को लेकर हर साल जून से लेकर नवम्बर माह तक होने वाली भारत और पाकिस्तान के कृषि अधिकारियों की बैठक का सिलसिला इस बार टूट गया है। केंद्र सरकार ने दो महीने बाद भी टिड्डी चेतावनी संगठन को बैठक की अनुमति नहीं दी।

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उधर संयुक्त राष्ट्र संघ के खाद्य एवं कृषि संगठन (एफएओ) के अनुसार विश्व भर में टिड्डी अभी नियंत्रण में है। 3 जुलाई को जारी ताजा बुलेटिन के अनुसार सऊदी अरब, मोरक्को, अल्जीरिया, मोरिटिआना और मिश्र में टिड्डी के कुछ समूह देखे गए हैं। भारत और पाकिस्तान में बीते माह बिपरजॉय साइक्लोन आने और वर्तमान में मानसून ऑनसेट होने से टिड्डी के प्रजनन के लिए अनुकूल मौसम है।

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टिड्डी चेतावनी संगठन (एलडब्ल्यूओ) जोधपुर की ओर से बाड़मेर और जैसलमेर बॉर्डर पर टिड्डी को लेकर लगातार सर्वे किया जा रहा है। वर्तमान में कहीं पर भी टिड्डी नहीं देखी गई है। एलडब्ल्यूओ में नए अधिकारी-कर्मचारियों की भर्ती होने और वर्तमान कर्मचारियों को प्रशिक्षित करने के लिए मोबाइल एप्लीकेशन पर टिड्डी का प्रशिक्षण जैसलमेर में आयोजित किया जाएगा, जिसमें चालीस कार्मिक भाग लेंगे।


मुनाबाव व खोखरापार में होती है बैठकें

भारत और पाकिस्तान के टिड्डी अधिकारियों की बैठक जून से लेकर नवम्बर माह तक प्रत्येक महीने एक दूसरे के देश में एकांतर क्रम में होती है। एक महीने भारतीय अधिकारी खोखरापार जाते हैं और दूसरे महीने पाकिस्तानी अधिकारी मुनाबाव आते हैं। दोनों देश एक दूसरे के साथ टिड्डी सर्वे और उसकी स्थिति का डाटा शेयर करते हैं, क्योंकि भारत में टिड्डी खाड़ी देशों से होते हुए पाकिस्तान के रास्ते ही प्रवेश करती है। यहां मानसून के समय टिड्डी का सर्वाधिक खतरा रहता है।