न्यायाधीश संदीप मेहता और न्यायाधीश अभय चतुर्वेदी की खंडपीठ में बिलाड़ा निवासी एक पिता की ओर से दायर बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका की सुनवाई के दौरान बालिका गृह से लाई गई किशोरी को पेश किया गया।
सुनवाई के दौरान उसने कहा कि वह पिता के साथ नहीं जाना चाहती, बल्कि वयस्क होने तक बालिका गृह में ही रहना चाहती है। उसकी इच्छा के अनुरूप कोर्ट ने उसे बालिका गृह भेजने के निर्देश के साथ कहा कि वहां उसकी सतत काउंसलिंग की जाए।
यदि वह मिलने की इच्छुक हो तो मां को मिलने की अनुमति रहेगी। गौरतलब है कि पिछली सुनवाई पर कोर्ट की पूछताछ में किशोरी ने बताया कि वह अपनी इच्छा से एक युवक नईम के साथ मुंबई गई थी।
उसी ने युवक को मुंबई चलने के लिए कहा था, लेकिन अब उसे इसका पश्चाताप है और कोर्ट उसे अपने परिजनों के घर भेज सकता है। परिजनों ने तब कोर्ट के समक्ष यह आशंका जताई कि बेटी को अभी घर ले जाने की स्थिति में सांप्रदायिक स्थिति बन सकती है।