कजाकिस्तान व मंगोलिया से उड़ान भर साइबेरियन क्रेन कुरजां सिर्फ भोजन और पानी के लिए हजारों मील का सफर तय कर हर साल खींचन पहुंचते है। इसी तरह पश्चिम एशिया, साइबेरिया, तिब्बत, मंगोलिया और नेपाल से स्टेपी चील, अफ्रीका व यूरोपीय देशों से पेरिवेरियन और पराग्रीन फ ाल्कन, इराक व कजाकिस्तान से विभिन्न प्रजातियों के बाज एवं हिमालय एवं मध्य पूर्व एशिया से बजर्ड जैसे शिकारी पक्षी भी दस्तक दे चुके है।
पक्षी विशेषज्ञों का मानना है कि शीतकालीन प्रवासी पक्षियों के लिए वर्तमान जलवायु सर्वाधिक अनुकूल होने से पक्षियों की तादाद इस साल और बढऩे की संभावना है। जगह जगह पानी और भोजन की उपलब्धता को मेहमान परिंदों के समूह सर्वाधिक उपयुक्त मानते हैं। खींचन में कुरजां की सेवा में लगे पक्षीप्रेमी सेवाराम माली के अनुसार चुग्गाघर में घास कटाई के बाद कुरजां की संख्या निरंतर बढ़ती जा रही है। कुरजां की संख्या दस हजार पिछले कई वर्षों से नवम्बर माह में होती है। पक्षी विशेषज्ञों ने इस बार थार में अनुकूल जलवायु के कारण कुरजां रिकॉर्ड संख्या में पहुंचने की उम्मीद जताई है।
जोधपुर जिले में कुरजां का आगमन
7 नवम्बर-2015—-10000
23 नवम्बर-2016—10000 12 नवम्बर-2017—10000
10 नवम्बर-2018—10000 26 नवम्बर-2019—10000
20 नवम्बर-2020—10000 14 अक्टूबर-2021–10000