सुसाइड नोट : जीना मुश्किल किया
घटनास्थल पर पुलिस को मृतक राजेन्द्र की ओर से टूटी-फूटी हिन्दी में लिखा सुसाइड नोट मिला। जिसमें लिखा, ‘मेरा बेटा मरा, साथ में दो। मैं मेरी मर्जी से यह काम कर रहा हूं। इसकी पूरी जिम्मेदारी इस आदमी की है। उसी का काम है। दस साल पहले जब इस आदमी के काम पर आया तब एक रुपए भी कर्ज नहीं था। इसके बाद जाल में फंसता गया। कम्पनी में काम करने वाला देवकिशन ने कर्ज में फंसाया। वह फंसता गया। इस आदमी ने मेरा जीना मुश्किल कर दिया।Ó सुसाइड नोट में देवकिशन के अलावा, पूजा, प्रकाशपुरी, प्रदीप व बोस के नाम व मोबाइल नम्बर लिखे हैं। मृतक के भाई ने इनके खिलाफ ही आत्महत्या को दुष्प्रेरित करने का मामला दर्ज कराया। जांच की जा रही है।
घटनास्थल पर पुलिस को मृतक राजेन्द्र की ओर से टूटी-फूटी हिन्दी में लिखा सुसाइड नोट मिला। जिसमें लिखा, ‘मेरा बेटा मरा, साथ में दो। मैं मेरी मर्जी से यह काम कर रहा हूं। इसकी पूरी जिम्मेदारी इस आदमी की है। उसी का काम है। दस साल पहले जब इस आदमी के काम पर आया तब एक रुपए भी कर्ज नहीं था। इसके बाद जाल में फंसता गया। कम्पनी में काम करने वाला देवकिशन ने कर्ज में फंसाया। वह फंसता गया। इस आदमी ने मेरा जीना मुश्किल कर दिया।Ó सुसाइड नोट में देवकिशन के अलावा, पूजा, प्रकाशपुरी, प्रदीप व बोस के नाम व मोबाइल नम्बर लिखे हैं। मृतक के भाई ने इनके खिलाफ ही आत्महत्या को दुष्प्रेरित करने का मामला दर्ज कराया। जांच की जा रही है।
डायरियों में मिला जॉब वर्क का हिसाब
सहायक पुलिस आयुक्त (प्रतापनगर) नीरज शर्मा ने बताया कि मृतक राजेन्द्र किसी फैक्ट्री के लिए हैण्डीक्राफ्ट या लकड़ी के सामान बनाने का जॉब वर्क करता था। इसके लिए कम्पनी ने कई तरह की शर्तें रखी हुई थी। मौके पर कुछ डायरियां मिली हैं। जिनमें काम का हिसाब-किताब व शर्तों का उल्लेख है। इनकी जांच की जा रही है।
सहायक पुलिस आयुक्त (प्रतापनगर) नीरज शर्मा ने बताया कि मृतक राजेन्द्र किसी फैक्ट्री के लिए हैण्डीक्राफ्ट या लकड़ी के सामान बनाने का जॉब वर्क करता था। इसके लिए कम्पनी ने कई तरह की शर्तें रखी हुई थी। मौके पर कुछ डायरियां मिली हैं। जिनमें काम का हिसाब-किताब व शर्तों का उल्लेख है। इनकी जांच की जा रही है।