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लॉकडाउन से अटका करोड़ों का कपड़ा, उद्यमियों के खस्ताहाल

locationजोधपुरPublished: Apr 03, 2020 02:08:32 pm

Submitted by:

Harshwardhan bhati

कोरोना महामारी के चलते लॉकडाउन के कारण आमजन के साथ उद्योग-धंधे प्रभावित हैं। अर्थव्यवस्था की धुरी कहे जाने वाले उद्योगों के बंद होने से जहां लाखों मजदूर बेरोजगार होकर घर बैठे हैं, वहीं उद्यमियों के भी खस्ताहाल हैं। टेक्सटाइल फैक्ट्रियों में तैयार माल के ट्रांसपोर्ट नहीं होने से उद्यमियों के करोड़ों रुपए अटक गए है।

textile industries in poor condition due to lockdown in india

लॉकडाउन से अटका करोड़ों का कपड़ा, उद्यमियों के खस्ताहाल

अमित दवे/जोधपुर. कोरोना महामारी के चलते लॉकडाउन के कारण आमजन के साथ उद्योग-धंधे प्रभावित हैं। अर्थव्यवस्था की धुरी कहे जाने वाले उद्योगों के बंद होने से जहां लाखों मजदूर बेरोजगार होकर घर बैठे हैं, वहीं उद्यमियों के भी खस्ताहाल हैं। टेक्सटाइल फैक्ट्रियों में तैयार माल के ट्रांसपोर्ट नहीं होने से उद्यमियों के करोड़ों रुपए अटक गए है। टेक्सटाइल फैक्ट्रियों में प्रतिदिन करीब पांच लाख मीटर कपड़ा तैयार होता है। एक अनुमान के मुताबिक फैक्ट्रियों में लाखों मीटर माल तैयार पड़ा है। होली व लॉकडाउन के कारण माल का ट्रांसपोर्ट नहीं हो पा रहा है। इस वजह से उद्यमियों का काम व करोड़ों रुपए अटके पड़े हैं।
इकाइयां बंद होने का खतरा
लॉकडाउन की वजह से मजदूरों का बड़ी संख्या में पलायन हो गया है। लॉकडाउन के बाद कई इकाइयों को पुन:स्थापित होने में समय लगेगा। ऐसे में उद्यमियों को बैंकों की किश्तें चुकानी भारी पड़ेगी, उनको डिफॉल्टर होने का भी खतरा है। इससे कई इकाइयों के बंद होने का भी अंदेशा है।
हैंडीक्राफ्ट के बाद उभरता उद्योग
जोधपुर के हैंडीक्राफ्ट निर्यात उद्योग के बाद उभरने वाला उद्योग टेक्सटाइल माना जाता है। यहां देश के प्रमुख कपड़ा उत्पादक क्षेत्रों से कच्चा माल आता है। जिसके बाद यहां रंगाई, छपाई व धुलाई की जाती है। धीरे-धीरे यह उद्योग गति पकड़ रहा है। हैंडीक्राफ्ट के बाद सबसे ज्यादा इकाइयां टेक्सटाइल उद्योग की है।
फैक्ट फाइल
– 300 टेक्सटाइल इकाइयां शहर में
– 5 लाख मीटर उत्पादन प्रतिदिन करीब
– 20 हजार लेबर जुड़ी उद्योग से
– रंगाई छपाई धुलाई का काम होता है इकाइयों में

उद्यमी बोले, पूरा साल उद्योगों के लिए खराब
मंदी, एनजीटी का डंडा और अब लॉक डाउन से टेक्सटाइल उद्योग के लिए पूरा साल खराब हो गया है। लॉकडाउन के बाद भी करीब तीन-चार माह उद्योग को सही तरह से शुरू होने में लगेगा। लॉकडाउन के बाद सरकार से सहयोग की उम्मीद है।
-अशोक बाहेती, अध्यक्ष, जोधपुर इंडस्ट्रीज एसोसिएशन
मंदी की वजह से जनवरी-फरवरी व अब लॉकडाउन से इकाइयां बंद है। लेबर चली गई है। फैक्ट्रियों में तैयार माल पड़ा रहने से करोड़ों रुपए अटक गए है। लॉकडाउन के बाद भी स्थितियां सामान्य होने में भी समय लगेगा। लेबर व नए ऑर्डर में परेशानी आएगी।
-ज्ञानीराम मालू, अध्यक्ष, मरुधरा इंडस्ट्रीज एसोसिएशन
लॉकडाउन से फैक्ट्रियों में तैयार माल के अलावा अधूरी प्रोसेसिंग वाला माल पूरी तरह से खराब हो गया। इससे उद्यमियों को भी नुकसान हुआ। तैयार माल का पेमेन्ट अटक गया है। लॉक डाउन के बाद भी इकाइयों को खड़ा करने में समस्या आएगी।
-मनोहर खत्री, कोषाध्यक्ष, जोधपुर प्रदूषण नियंत्रण ट्रस्ट
लॉकडाउन लंबा चला तो इस उद्योग की हालत बहुत ज्यादा खराब होगी। उद्यमियों को नए ऑर्डर, बाजार में प्रतिस्पर्धा बनाए रखने में कठिनाइयों का सामना करना पड़ेगा। हम जैसे नए उद्यमियों को इकाइयां चलाने में मुश्किलों का सामना करना पड़ेगा।
-वरुण धनाडिय़ा, युवा उद्यमी
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