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टेक्सटाइल इंडस्ट्री: बुलाने से भी नहीं आ रहे मजदूर, उद्यमियों को सता रहा ऑर्डर नहीं मिलने का डर

locationजोधपुरPublished: May 31, 2020 01:42:34 pm

Submitted by:

Harshwardhan bhati

लॉक डाउन 3-4 में सरकार ने आर्थिक गतिविधियों के संचालन के लिए उद्योगों को चालू करने की अनुमति दे दी। इसके बावजूद भी औद्योगिक गतिविधियां पटरी पर नही आ रही है। टेक्सटाइल उद्योग सबसे ज्यादा लेबर की समस्या से जूझ रहा है।

textile industry is facing loss due to coronavirus lockdown

टेक्सटाइल इंडस्ट्री: बुलाने से भी नहीं आ रहे मजदूर, उद्यमियों को सता रहा ऑर्डर नहीं मिलने का डर

अमित दवे/जोधपुर. लॉक डाउन 3-4 में सरकार ने आर्थिक गतिविधियों के संचालन के लिए उद्योगों को चालू करने की अनुमति दे दी। इसके बावजूद भी औद्योगिक गतिविधियां पटरी पर नही आ रही है। टेक्सटाइल उद्योग सबसे ज्यादा लेबर की समस्या से जूझ रहा है। टेक्सटाइल इकाइयों का संचलान न के बराबर है और उत्पादन तो नगण्य ही है। लेबर पलायन कर गई हैं। हाल यह है कि उद्यमियों के बुलाने से भी लेबर नही आ रही है।
टेक्सटाइल उद्योग की समस्याएं
1- पुराने आर्डर भी पूरे नहीं हो रहे
लेबर की समस्या के कारण उद्यमियों को मिले पुराने आर्डर भी पूरे नहीं हो रहे है।

2- इंटरनेशनल आर्डर नहीं
विश्वव्यापी कोरोना के कारण इंटरनेशनल टेक्सटाइल मार्केट बन्द है। ऐसे में प्रमुख इंटरनेशनल बायर से भारत के टेक्सटाइल एक्सपोर्टर को आर्डर मिलना बंद हो गए। परिणामस्वरूप जोधपुर के टेक्सटाइल उद्यमियों के पास नए आर्डर भी नहीं है।
3- घरेलू मांग नहीं
जोधपुर के कपड़े की देश के प्रमुख मेट्रो ओर अन्य शहरों में अच्छी मांग रहती हैं, इस बार कोरोना के कारण यह मांग भी शून्य है।

टैक्सटाइल उद्योग एक नजर में…
-300-350- टेक्सटाइल इकाइयां
– 15 हज़ार लेबर जुड़ी उद्योग से
– 1000 लेबर भी मुश्किल से काम कर रही
– 1500 करोड़ रुपये सालाना टर्न ओवर
– 5 लाख मीटर उत्पादन प्रतिदिन
– वर्तमान में उत्पादन नगण्य
इनका कहना है
सरकार ने फैक्ट्री खोलने की भले ही अनुमति दे दी हो लेकिन मजदूर के नही होने से बहुत ज्यादा समस्या है। पूरी लेबर ही नहीं तो काम कहां से करेंगे।
– मनोहर खत्री, टेक्सटाइल उद्यमी
लेबर नहीं होने बहुत दिक्कतें आ रही हैं। उद्योग सही तरीके से नही चल रहे हैं।
– ज्ञानीराम मालू, अध्यक्ष, मरुधरा इंडस्ट्रीज एसोसिएशन

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