इस बार दो दिवसीय उत्सव पुष्टीमार्गीय मंदिरों में शरदपूर्णिमा शुक्रवार को मनाई गई। कोरोना महामारी के कारण मंदिरों में भक्तों का प्रवेश वर्जित रहा। ज्योतिषियों के अनुसार शरद पूर्णिमा तिथि 31 अक्टूबर को रात्रि 8.18 बजे तक होने से इस बार शरद पूर्णिमा व्रत शनिवार को होगा। क्योंकि व्रत में किए जाने वाले लक्ष्मी पूजन का काल प्रदोषकाल होना कारण बताया गया है। शनिवार को पूर्णिमा चन्द्रोदय व्यापिनी भी है ।
खरीदारी के लिए श्रेष्ठ
शरद पूर्णिमा को चंद्रमा की शीतल चांदनी में चावल और गाय के दूध से निर्मित खीर रात में और सुबह सेवन से श्वांस व दमा के रोगियों के लिए फायदेमंद मानी गई है। शरदपूर्णिमा को सिद्धियोग होने से भूमि, भवन, वाहन, आभूषण सहित सभी तरह की गृहउपयोगी चीजों की खरीदारी की जा सकती है।
शरद पूर्णिमा को चंद्रमा की शीतल चांदनी में चावल और गाय के दूध से निर्मित खीर रात में और सुबह सेवन से श्वांस व दमा के रोगियों के लिए फायदेमंद मानी गई है। शरदपूर्णिमा को सिद्धियोग होने से भूमि, भवन, वाहन, आभूषण सहित सभी तरह की गृहउपयोगी चीजों की खरीदारी की जा सकती है।