कार्यक्रम के तहत जिले में 22 मोबाइल हैल्थ टीम कार्यरत है। प्रत्येक टीम आंगनबाड़ी, मदरसों व स्कूलों में जाकर बच्चों में स्वास्थ्य परीक्षण से 38 प्रकार की बीमारियों की स्क्रीनिंग की जा रही है। बीमारी से ग्रसित पाए जाने पर बच्चे को रेफर कार्ड देकर इलाज के लिए उच्च चिकित्सा संस्थान में भेजा जाता हैं। जहां बच्चे की जांचें व इलाज नि:शुल्क होता हैं। जोधपुर में यह कार्यक्रम वर्ष 2014 से चलाया जा रहा है। जिसके तहत अब तक जन्मजात ह्रदय रोग से ग्रसित 112 बच्चों के मथुरादास माथुर अस्पताल, मेडीपल्स अस्पताल तथा सवाई मानसिंह अस्पताल, फोर्टिस व नारायणा अस्पताल जयपुर में सफल ऑपरेशन किए जा चुके हैं।
सीएमएचओ डॉ. बलवंत मंडा के अनुसार वर्ष 2018-19 में अब तक लगभग 6471 संस्थानों में 348000 बच्चों का स्वास्थ्य परीक्षण हो चुका हैं जिसमें से करीब 13 हजार बच्चों को इलाज के लिए रेफर किया जा चुका हैं। इनमें से 4800 बच्चों का इलाज खण्ड स्तर पर शिविर का आयोजन करवाकर किया जा चुका हैं। 400 बच्चों का मथुरादास माथुर अस्पताल में इलाज हो चुका हैं। अब तक लगभग 50 से ज्यादा बच्चों का नि:शुल्क ऑपरेशन के जरिए इलाज करवाया गया हैं। जिनमें जन्मजात ह्रदय रोग से ग्रसित 40, कटे होठ व तालू के 8, न्यूरल ट्यूब डिफेक्ट के 2, क्लब $फूट के 2, अन्य 5 मरीजों सफल ऑपरेशन किए गए।
केस-1
12 वर्ष के बच्चे केे दिल में था छेद, ऑपरेशन से स्वस्थ
देड़ा बालेेसर के नक्ताराम के 12 वर्षीय पुत्र मोतीराम को जन्म से हृदय रोग था। आरबीएसके टीम बालेसर के चिकित्सक डॉ. धीरज गोयल ने बच्चे को जोधपुर रेफर किया। एमडीएम अस्पताल में पुन: जांच में बच्चे के दिल में छेद होने की पुष्टि हुई। एमडीएम अस्पताल में ऑपरेशन किया गया, लेकिन वह सफल नहीं रहा। छेद की साइज और बढ़ गई। इस पर चिकित्सा विभाग ने बच्चे का चयन आरबीएसके योजना में करते हुए निजी अस्पताल में भर्ती कराया। जहां उसका ऑपरेशन सफल हुआ और वह अब स्वस्थ है।
केस-2- अब दौड़ पा रही है हीरा—
बालिका हीरा पुत्री झूमर राम जो जन्म से ही क्लब फुट से ग्रसित थी। परिजन ने इसका 2 बार ऑपरेशन भी करवाया। जो असफल रहा और परिजन ने इसको लाइलाज मानकर हार मान ली। लेकिन आरबीएसके टीम ने बच्ची के परिजन को भरोसा दिलाया और इलाज करवाने के लिए प्रोत्साहित किया। लगभग 16 कास्ंिटग होने के बाद एक छोटा सा ऑपरेशन हुआ जिससे बच्ची के पैर सही हो गए और अब यह बच्ची सामान्य बच्चों के जैसे दौड़ भाग सकती हैं।
केस-3–स्वस्थ हुआ अबरार–
बालक अबरार पुत्र अयूब का हाल ही में जयपुर के फोर्टिस अस्पताल में नि:शुल्क ऑपरेशन किया गया हैं। ऑपरेशन काफी जटिल था क्योंकि इस बच्चे को जन्मजात ह्रदय रोग के साथ साथ अन्य जटिल समस्याएं भी थी। सिटी आरबीएसके टीम की ओर से इस बच्चे को डीईआईसी सेंटर भेजा गया। चूंकि बच्चे का इलाज यहां संभव नहीं था। इसलिए निदेशालय से अनुमति लेकर बालक को फोर्टिस अस्पताल जयपुर भेजा गया। जहां 25 जनवरी को चार ऑपरेशन किए गए, अब बच्चा स्वस्थ है।
केस-4- अंशिता के घर लौटी खुशियां–
आरबीएसके टीम के चिकित्सक डॉ. भरत सोनी व डॉ. रीना ढाका को भोपालगढ़ के नाडसर गांव में आंगनवाड़ी में स्वास्थ्य परीक्षण तीन वर्षिय अंशिता पुत्री श्रीराम के दिल की बीमारी संबन्धित लक्षण दिखाई दिया। टीम ने उसे मथुरा दास माथुर अस्पताल रेफर किया। जांच में बच्ची के दिल में छेद की पुष्टि हुई। चूंकि यह इलाज एमडीएम मेें संभव नहीं था। इसलिए जयपुर स्थित फोर्टिस अस्पताल में नि:शुल्क ऑपरेशन की तिथि तय की गई। परिजन बच्ची को फोर्टिस अस्पताल ले गए और वहां पर 18 दिसम्बर 2018 को जटिल ऑपरेशन के बाद अंशिता पूर्णत: स्वस्थ है।