टैक्स का ‘सरकारीकरण’ ही पड़ रहा भारी!
- विश्वविद्यालय और डिस्कॉम सबसे बड़े बकायदार
- 100 करोड़ से अधिक की राशि लेनी है सरकारी निगमों से

अविनाश केवलिया. जोधपुर।
नगर निगम के सामने सबसे बड़ी चुनौती राजस्व एकत्रित करने की है। इसके लिए पूरा जोर लगाया जा रहा है। कई विकास कार्य ठप है। यूडी टैक्स के साथ अन्य कर वसूली पर पूरा फोकस है। कई प्रतिष्ठान भी सीज किए गए हैं, लेकिन खुद सरकारी निगम ही ऐसे हैं जो शहरी सरकार को यह टैक्स नहीं चुका रहे हैं। अकेले जयनारायण व्यास विश्वविद्यालय और डिस्कॉम जैसे अद्र्ध सस्कारी संस्थानों में 100 करोड़ से अधिक का टैक्स बकाया है।
सरकारी व संस्थाओं के बकाया यूडी टैक्स में जेएनवीयू टॉप पर है। इसका करीब 75 करोड़ का यूडी टैक्स बकाया है। लेकिन कई सालों में न तो नगर निगम ने तकाजा किया और न ही विवि ने अपनी तरफ से टैक्स भरने में कोई रुचि दिखाई। अब हालात यह है कि पैंडेंसी इतनी हो गई है कि वसूलने और भरने वाली संस्थाओं को पसीने छूटने लगे हैं। हालांकि अब नोटिस व पत्र भेजे जा रहे हैं, लेकिन कितनी वसूली होगी यह तय नहीं।
विभागों में इतना बकाया
- जेएनवीयू - 74.49 करोड़
- जोधपुर डिस्कॉम - 17.71 करोड़
- कृषि उपज मंडी - 5.70 करोड
- भारतीय खाद्य निगम - 5.57 करोड
- रीको - 1.75
- राजस्थान विद्युत प्रसारण निगम - 1.68 करोड
---
चार साल से पीएचइडी ने नहीं दिया सीवरेज शुल्क
पीएचइडी की ओर से पानी के बिलों में उपभोक्ताओं से सीवरेज शुल्क की राशि वसूली जाती है। लेकिन वर्ष 2017-18 के बाद पीएचईडी ने राशि ही हस्तान्तरण नहीं की। ऐसे में करीब 30 करोड़ रुपए निगम यहां भी मांगता है।
------
इधर, खाली जमीन तलाशने के आदेश
उत्तर निगम में सभी वार्ड व सेक्टर प्रभारियों को आदेश जारी हुए हैं कि उनके क्षेत्राधिकार में रिक्त पड़े भूखंडों की जानकारी लेकर रिपोर्ट करनी है। इसमें भूखंड का पता, साइज और मुख्य सडक़ की चौड़ाई सहित अन्य बातों को शामिल करना है। यदि किसी वार्ड में ऐसे रिक्त भूखंड नहीं है तो प्रभारी को लिखकर देना जमीन नहीं होने का प्रमाण पत्र देना होगा। ऐसी सूचियां तैयार करने के बाद निगम भूखंडों से राजस्व जुटाने का प्रयास करेगा।
क्या कहते हैं आयुक्त
उत्तर निगम आयुक्त रोहिताश्व तोमर ने बताया कि ज्यादा सरकारी संस्थाएं जिनका बकाया है वह दक्षिण में है। लेकिन जेएनवीयू व डिस्कॉम टॉप पर है। दक्षिण आयुक्त डॉ. अमित यादव के अनुसार पहले कभी प्रयास नहीं हुए, लेकिन अब हम वसूली के प्रयास कर रहे हैं। कई विभागों के जवाबी पत्र भी आ गए हैं।
अब पाइए अपने शहर ( Jodhpur News in Hindi) सबसे पहले पत्रिका वेबसाइट पर | Hindi News अपने मोबाइल पर पढ़ने के लिए डाउनलोड करें Patrika Hindi News App, Hindi Samachar की ताज़ा खबरें हिदी में अपडेट पाने के लिए लाइक करें Patrika फेसबुक पेज