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गरीबों को मिल रहा ‘अमीरों का धान’, हमारा धान हुआ ‘गरीब’

- राशन में बाजरी की जगह गेहूं दे रही राज्य सरकार, केंद्र सरकार ने पीडीएस के तहत बाजरे को भी कर रखा है शामिल, गेहूं से अधिक है पोषक तत्व- केंद्रीय कृषि राज्यमंत्री ने मुख्यमंत्री को लिखा पत्र, गेहूं की जगह बाजरा मिले- 2023 में अंतराष्ट्रीय बाजरा वर्ष, भारत सहित 70 देशों के प्रस्ताव को संयुक्त राष्ट्र की हरी झंडी

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गरीबों को मिल रहा ‘अमीरों का धान’, हमारा धान हुआ ‘गरीब’

गरीबों को मिल रहा ‘अमीरों का धान’, हमारा धान हुआ ‘गरीब’

जोधपुर. पूरे विश्व में सर्वाधिक बाजरा राजस्थान में पैदा होता है। देश का 41 प्रतिशत बाजरा देने वाले राजस्थान में राशन की दुकानों पर बाजरे की जगह कम पोषक धान गेहूं मिल रहा है। केंद्र सरकार ने सार्वजनिक वितरण तंत्र (पीडीएस) में बाजरा को भी शामिल कर रखा है लेकिन राज्य सरकार के आग्रह के बगैर केंद्र विवश है। केंद्रीय कृषि राज्य मंत्री कैलाश चौधरी ने तीन महीने पहले मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को पत्र लिखकर बाजरा को पीडीएस में शामिल करने के लिए निवेदन किया लेकिन अभी तक राज्य सरकार ने कोई कदम नहीं उठाया है। बाजरे की जलवायु परिवर्तन विरोधी गुणों व पौष्टिकता को देखते हुए संयुक्त राष्ट्र संघ (यूएनओ) ने वर्ष 2023 को अंतरराष्ट्रीय बाजरा वर्ष मनाने की घोषणा की है। भारत सहित 70 देशों ने इस साल यह प्रस्ताव यूएनओ को दिया था। गौरतलब है कि बाजरे में गेहूं की अपेक्षा दुगुना प्रोटीन होता है जो लोगों में कुपोषण को भी दूर करता है।

केंद्र सरकार ने गेहूं के अलावा बाजरा, मक्का, ज्वार, जौ व रागी खाद्यान्न को पीडीएस में शामिल कर रखा है। राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा योजना (एनएफएसए) के अंर्तगत राज्य सरकार के अनुरोध पर ही केंद्र सरकार संबंधित राज्य को फूड कार्पोरेशन ऑफ इंडिया (एफसीआई) के जरिए खाद्यान की आपूर्ति करती है। राजस्थान में हर महीने करीब 4.50 करोड़ लोगों को 20 लाख मैट्रिक टन गेहंू करीब 25 हजार राशन की दुकानों के मार्फत दिया जाता है। यही कारण है कि राजस्थान गेहूं की न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर खरीद करता है जबकि बाजरा उगाने वाले किसान हाथ मलते रह जाते हैं। केरल, पश्चिमी बंगाल व उड़ीसा जैसे राज्य राशन की दुकानों पर स्वयं का खाद्यान चावल भी वितरित करते हैं। कुछ राज्य रागी व जौ भी वितरित कर रहे हैं।

.............फैक्ट फाइल............
- 335 किलो प्रति हेक्टेयर बाजरे का उत्पादन था 1950 में
- 1243 किलो प्रति हेक्टेयर बाजरा उत्पादन है वर्तमान में
- 175 हाइब्रिड व 62 वैरायटी है बाजरे की
- 8.61 मिलिटन टन बाजरा होता है देश में
- 90 प्रतिशत बाजरा देश के 5 राज्यों में
(स्त्रोत: अखिल भारतीय समन्वित बाजरा अनुसंधान परियोजना)
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देश में कहां-कितना उत्पादन
- 40.03 प्रतिशत उत्पादन राजस्थान में
- 19.69 प्रतिशत उत्तरप्रदेश में
- 10.07 प्रतिशत गुजरात में
- 8.32 प्रतिशत मध्यप्रदेश में
- 7.88 प्रतिशत हरियाणा में
- 6.67 प्रतिशत महाराष्ट्र में
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बाजरे की पोषकता प्रति 100 ग्राम में
कार्बोहाइडेट - 75 ग्राम
घुलनशील फाइबर- 6 ग्राम
वसा - 3.3 ग्राम
प्रोटीन - 10.6 ग्राम
खनिज - 2.3 ग्राम
आयरन - 16.9 मिलीग्राम
केल्सिशयम- 38 मिलीग्राम
ऊर्जा - 351 किलो कैलोरी
(स्त्रोत: इक्रीसेट हैदराबाद )

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‘केंद्र सरकार पीडीएस में बाजरा देने को तैयार है लेकिन राज्य सरकार निर्णय नहीं कर रही है। मैंने मुख्यमंत्री को पत्र लिखा है लेकिन अब तक कोई जवाब नहीं आया। पीडीएस में बाजरा शामिल होने से प्रदेश के किसानों की आर्थिक हालत भी बेहतर हो जाएगी।’
-कैलाश चौधरी, केंद्रीय कृषि राज्य मंत्री