पश्चिमी राजस्थान में 100 साल तक नहीं होगी पानी की किल्लत
-बाड़मेर-जैसलमेर में मिला 482 बिलियन क्यूबिक मीटर का जल भंडार
-पेट्रोलियम-जलशक्ति मंत्रालय मिलकर खारे पानी को बनाएंगे पीने योग्य

जोधपुर. पानी का महत्व राजस्थान से बेहतर कौन जानता है, लेकिन अब केंद्रीय जलशक्ति मंत्रालय और पेट्रोलियम मंत्रालय के एक प्रयास से राज्य की किस्मत बदलने वाली है। पेट्रोलियम मंत्रालय बाड़मेर-जैसलमेर की भूमि से इतना पानी निकालने वाला है कि बाड़मेर, जोधपुर और जैसेलमेर समेत पश्चिमी राजस्थान में 100 वर्ष तक पानी की कमी नहीं होगी।
नई दिल्ली में शुक्रवार को केंद्रीय जलशक्ति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत और केंद्रीय पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस मंत्री धर्मेंंद्र प्रधान की मौजूदगी में पेट्रोलियम मंत्रालय के अधिकारियों ने पश्चिमी राजस्थान को दिए गए प्रजेंटेशन के दौरान बताया कि बाड़मेर-जैसेलमेर की भूमि में गहराई में 482 बिलियन क्यूबिक मीटर पानी उपलब्ध होने का अनुमान है। यह पानी खारा है और इसका टीडीएस 1000 से 10000 है। आंकड़ों के अनुसार अभी पूरे राजस्थान में 16.17 बिलियन क्यूबिक मीटर भूजल का उपयोग हो रहा है, यानी उपलब्ध जल की उपलब्धता आगामी 30 वर्षों तक सभी कार्यों में प्रयुक्त जल कृषि, पेयजल,औद्योगिक इकाइयों में उपयोग किए जाने वाले पानी के बराबर है।
पेट्रोलियम कंपनियां यह खारा पानी भूमि से निकालकर पीने योग्य बनाएंगी। प्रधान ने पेट्रोलियम कंपनियों को जलशक्ति मंत्रालय के साथ मिलकर भूमि में उपलब्ध 482 बिलियन क्यूबिक मीटर जल को लेकर काम शुरू करने के निर्देश दिए।
शेखावत ने कहा कि पश्चिमी राजस्थान में ऊर्जा की अपार संभावनाएं हैं। वर्तमान में सौर और विंड पॉवर से ऊर्जा पैदा की जा रही है। भविष्य में भी यहां से पैदा होने वाली ऊर्जा से देश की पूर्ति होगी।
गौरतलब है कि पिछले साल नवंबर में पश्चिमी राजस्थान की गहराई में छूपे भूजल को लेकर पेट्रोलियम कंपनियों ने बैठक की थी। वर्तमान में ओआईएल जैसलमेर में पीने का पानी उपलब्ध करा रही है। वह 150-250 मीटर गहरे बोरवेल्स से प्रतिदिन 21000-50000 लीटर पानी निकाल रही है। केयर्न-वेदांता बाड़मेर में क्षेत्रिय लोगों को पेयजल उपलब्ध करा रही हैं। जबकि एचपीसीएल 200 किमी लंबी पाइप लाइन डालकर बाड़मेर रिफ ाइनरी की टाउनशिप को पेयजल देगी।
प्रजेंटेशन के दौरान राजस्थान में कार्यरत ओआईएल,एचपीसीएल व केर्न-वेदांता समेत अन्य कंपनियों के प्रतिनिधि व जलशक्ति मंत्रालय के अधिकारी उपस्थिति थे।
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