अभी बिजली का बिल एक एईएन कार्यालय से बनता है। उनके अधीन कई जीएसएस होते हैं। एक जीएसएस पर तीन से चार फीडर होते हैं। अभी तक फीडर लॉसेस तक की बिजली चोरी ट्रेस की जाती है। अब एक फीडर के अधीन आने वाले कई ट्रांसफार्मर पर डिवाइस लगाने की तैयारी है। इससे उस ट्रांसफार्मर से दी गई बिजली व बिल की गणना की जा सकेगी।
प्रमुख शासन सचिव नरेश पाल गंगवान इसी मुद्दे पर तीनों डिस्कॉम में अधिकारियों की वीसी ली। इस कार्य को 31 मार्च तक पूरा करने का लक्ष्य दिया है। ट्रांसफार्मर वाइज लॉसेज, अंडर व ओवर लोड, कंजूमर चिह्निकरण और ट्रांसफार्मर बर्निंग का भी पता चलेगा।
कंज्यूमर इंडक्शन या टैगिंग प्रक्रिया का काम चल रहा है। प्रक्रिया पूरी होने के बाद एक क्षेत्र विशेष को पहचान कर वहां बिजली चोरी के विरुद्ध अभियान चलाया जाएगा। – सुमेरसिंह यादव, प्रबंध निदेशक, जोधपुर डिस्कॉम।