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नेताओं को टोल टैक्स फ्री, पूर्व सैनिक का क्यों नहीं..?

locationजोधपुरPublished: Jan 25, 2020 07:35:27 pm

देश के लिए कुर्बानी देने वाले शहीदों, पूर्व सैनिकों को मिले पूरा मान

नेताओं को टोल टैक्स फ्री, पूर्व सैनिक का क्यों नहीं..?

नेताओं को टोल टैक्स फ्री, पूर्व सैनिक का क्यों नहीं..?

जोधपुर. सैनिक वतन की रक्षा के लिए प्राणों को आहुत कर देता है, माइनस डिग्री तापमान हो या कड़ी धूप, बिना किसी स्वार्थ के रात दिन सीमाओं की रखवाली करता है। देश की जनता सोती है, सैनिक जागते रहते हैं, लेकिन यदि सैनिकों को ही शहीद होने या रिटायरमेंट के बाद सही सम्मान नहीं मिले तो दिल को ठेस जरू र पहुंचती है। कुछ ऐसी ही बातें पत्रिका कार्यालय में आयोजित राज्य सरकार के बजट पूर्व परिचर्चा में पूर्व सैनिकों एवं उनके परिवारों के सदस्यों ने कही। सैनिक देश की सेवा कर रिटायर होता है, लेकिन टोल टैक्स में छूट नहीं, जबकि नेताओं का टोल टैक्स फ्री है। ऐसा भेदभाव क्यों।
-पूर्व सैनिकों ने यह कहा
-स्टेट टोल टैक्स में छूट मिले।

– जिला स्तर पर सैनिक कॉलोनी व सभागार बने।
– शहीद स्मारक एवं मेमोरियल सेंटर बनाया जाए। – सैनिकों के लिए सार्वजनिक जगहों पर अलग क्यू हो।
-स्कूल/कॉलेज में शहीदों की मूर्ति लगाएं, जिससे औरों को प्रेरणा मिले।
– वार विडो का सम्मान भत्ता बढ़ाया जाए।

– स्कूल नामकरण की प्रक्रिया में सरलीकरण हो।
– सैनिक परिवारों को विशेष सरकारी सहायता मिले।
– भूमिहीन सैनिक को भूमि उपलब्ध करवाई जाए।
-बच्चों के लिए शिक्षण संस्थानों में विशेष एडमिशन कोटा बनाएं।

– वार हॉस्टल के लिए विशेष बजट जारी हो।
-विधवाओं की पेंशन राशि बढ़ाई जानी चाहिए।

-सरकारी परिवहन में नि:शुल्क यात्रा का प्रावधान हो।
आईना-
सैनिकों के लिए बजट में जो घोषणाएं की गई वो भी समय पर पूरी नहीं हो सकी। सैनिकों की विधवाओं, परिवारों के कल्याण की सिर्फ बातें ही की जा रही हैं। शिक्षण व आवास की कई सुविधाएं अभी तक नहीं मिल सकी हैं। कई शहीदों की घोषणा के बाद भी मूर्ति लगाने, नामकरण की प्रक्रिया बरसों तक फाइलों में ही दबी पड़ी है। पूर्व सैनिकों को कर्ज माफी का भी पूरा लाभ नहीं मिल पाया। सरकारी कार्यालयों में सैनिकों को पूरा मान-सम्मान नहीं दिया जाता।
अपेक्षा-

बजट में पूर्व सैनिकों के कल्याण की नवीन घोषणाएं होनी चाहिए। जिला स्तर पर सैनिकों के लिए आवासीय कॉलोनी बनाने, टोल टैक्स में छूट देने, जिला स्तर पर सैनिक सभागार बनाया जाना चाहिए। सरकारी कार्यालयों में सैनिकों के लिए अलग से विंडो बनाई जानी चाहिए। सरकारी बसों में नि:शुल्क यात्रा का प्रावधान हो। राज्य सेवाओं में पूर्व सैनिकों के लिए अलग से कोटा बनाने की घोषणा हो। टैक्स में छूट दी जानी चाहिए। वार हॉस्टल में संसाधन बढ़ें।
मंदी की बात
गांवों में बड़ी संख्या में पूर्व सैनिक निवास करते हैं। सैनिकों के कल्याण के लिए नवीन योजनाएं लागू की जानी चाहिए। कई सेवाओं में सैनिक कम उम्र में ही रिटायर हो जाते हैं। रिटायरमेंट के बाद सिर्फ पेंशन के भरोसे रहने के बजाय सरकार को अन्य सेवाओं में भर्ती करनी चाहिए। जिसमें सुरक्षा प्रहरी से लेकर कई अन्य विभाग हैं। जिससे सैनिकों को रोजगार मिल सकेगा। क्रय शक्ति बढ़ सकेगी। निश्चित ही इससे मंदी को कम किया जा सकता है।
बजट से संभावना

पूर्व सैनिक रिटायर होने के बाद भी कई सारी समस्याओं से जूझता रहता है। सरकार सैनिकों के लिए अलग विंडो बनाने की घोषणा करें। सैनिक परिवारों के कल्याण, शिक्षा के लिए अलग कोटा बनाएं, कई वीरांगनाएं अभावों में जीवन जी रही हैं। उनके पुनर्वास के लिए कल्याण कोष बनाया जाए। शिक्षण संस्थानों में आरक्षण लागू होना चाहिए। हथियार लाइसेंस का शुल्क माफ किया जाना चाहिए। सैनिक कल्याण विभाग के लिए ज्यादा फंड आवंटन करें। एक्स सर्विसमैन को एग्रीकल्चर लैंड की सुविधा मिलें।
इन्होंने लिया हिस्सा- परिचर्चा में जिला सैनिक कल्याण अधिकारी राजेंद्रसिंह राठौड़, शेरगढ़ के जिला सैनिक कल्याण अधिकारी कमांडर लक्ष्मणसिंह, जयसिंह राठौड़, देवीसिंह राठौड़, मूलसिंह भाटी, अमरसिंह भाटी किंजरी, महिपाल सिंह, फतेहसिंह करमसोत, सुमेरसिंह राठौड़, कर्नल भोजराजसिंह, कैप्टन शायरसिंह राठौड़, गुमानसिंह, रतनसिंह निर्वाण, रामजी व्यास, कल्याणसिंह भाटी बिरामी, अर्जुनसिंह भाटी, नारायणसिंह जोधा, नरपतसिंह तंवर, गुलाबसिंह डांवरा, महेंद्रसिंह जोधा, श्यामसिंह राठौड़, शिवसिंह भदौरिया सहित सैनिक परिवार के डॉ. इब्राहिम खान, दिनेश मुंडण खाराबेरा, मोही सारण, वचनसिंह, महेंद्रसिंह, गजराजसिंह, शहीद विरमसिंह राठौड़ की वीरांगना भंवर कंवर, शहीद बाबूसिंह की वीरांगना अनु पंवार, शहीद हनुमानसिंह राठौड़ की वीरांगना लक्ष्मी राठौड़, शहीद ओमप्रकाश की पुत्री किरण आदि उपस्थित थे।
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