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ये झोंपड़ी नहीं अनाज भण्डारण की कोठी है…

locationजोधपुरPublished: Feb 14, 2019 10:44:47 am

Submitted by:

pawan pareek

बेलवा (जोधपुर). समय के बदलाव के साथ साथ प्राचीन संस्कृति, धार्मिक परम्परा व रीति रिवाज भी बदल रहे है। लेकिन गांवों में आज भी कई रीति रिवाज व परम्पराएं सदियों से चली आ रही है।

Traditional way of storing grains

ये झोंपड़ी नहीं अनाज भण्डारण की कोठी है…

बेलवा (जोधपुर). समय के बदलाव के साथ साथ प्राचीन संस्कृति, धार्मिक परम्परा व रीति रिवाज भी बदल रहे है। लेकिन गांवों में आज भी कई रीति- रिवाज व परम्पराएं सदियों से चली आ रही है।
गांवों में सदियों से चली आ रही अनाज भण्डारण की समृद्ध परम्परा जीवंत दिखाई दे रही है। गांवों में बाजरा, गेहूं, मोंठ, मूंग व अन्य अनाज को गोबर, मिट्टी व लकड़ियों से बनी कोठी में वर्षों तक सुरक्षित भंडारण किया जाता है। कोठी के अनाज में राख मिलाकर कीट-कीटाणुओं से बचाकर रखा जाता है। वहीं इसके निचले हिस्से में एक छेद रखा जाता है, जिससे अनाज को आवश्यकतानुसार उपयोग में लिया जाता है।
कोठी के ऊपर के भाग से अनाज को रखा जाता है। कोठी को गोबर से लीपने के साथ ही तीज- त्यौहारों पर इन पर मांडने भी बनाए जाते हैं। कोठी को झोंपड़ी के आकार के घास से साज-सज्जा की जाती थी। इससे बारिश व आंधी में भी अनाज सुरक्षित रहता है। क्षेत्र के गोपालसर गांव में अलग-अलग अनाज के भण्डारण के लिए बनाई गई कोठी।
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