scriptधोरों में चट्टान की तरह मजबूत रहेंगे पेड़-पौधे | Trees and plants will remain strong like rock in the desert | Patrika News

धोरों में चट्टान की तरह मजबूत रहेंगे पेड़-पौधे

locationजोधपुरPublished: Apr 11, 2021 06:50:45 pm

Thar Desert
– जेएनवीयू ने सूखे व लवणीय वातावरण से लडऩे के लिए उत्तरदायी जीन को खोजा- मंूग और सरसो में मिला एचओ-1 जीन- जीन रेगुलेशन से सभी पादपों में बढ़ाई जा सकेगी सहनशीलता

धोरों में चट्टान की तरह मजबूत रहेंगे पेड़-पौधे

धोरों में चट्टान की तरह मजबूत रहेंगे पेड़-पौधे

जोधपुर. जयनारायण व्यास विश्वविद्यालय के वनस्पति शास्त्र विभाग ने पादपों में सूखा, लवणीयता और धात्विक तत्वों के विरुद्ध लडऩे के लिए उत्तरदायी जीन की खोज की है। यह जीन वैसे तो सभी पादपों में पाया जाता है, लेकिन अधिकांश में यह सुसुप्तावस्था में रहता है। जीन रेगुलेशन की मदद से संबंधित पादपों में सहनशीलता (टॉलरेंस पावर) बढ़ाकर धोरों व लवणीय भूमि में भी अधिक आसानी से खेती करने के साथ वहां कई पेड़-पौधे उगाए जा सकते हैं।
थार प्रदेश में सूखे की समस्या के अलावा लवणीय भूमि की समस्या है। लवण अधिक होने के कारण भी पौधे कम पनपते हैं। इसके अलावा उद्योगों से निकले अपशिष्ट में जिंक, निकल, लैड, कैडमियम, मर्करी, कॉपर जैसी विषैली धातुओं के कारण भी पेड़-पौधे जीवित नहीं रह पाते हैं। जेएनवीयू के वनस्पति विभाग के प्रो. ज्ञानसिंह शेखावत ने मंूग और सरसो के पौधे पर इस संबंध में प्रयोग किए। उन्होंने सूखे व लवणीयता के लिए उत्तददायी एचओ-1 नामक जीन खोजी। विश्व में इतनी बड़ी खोज होने पर विज्ञान पत्रिका नेचर साइंटिफिक रिपोर्ट ने भी इस शोध को हाल ही में प्रकाशित किया।
हीम ऑक्सीजनेज एंजाइम स्त्रावित करता है एचओ-1
दरअसल पादपों में सूखा व लवणीय भूमि से लडऩे का कार्य हीम ऑक्सीजनेज एंजाइम करता है। इस एंजाइम का निर्माण एचओ-1 जीन द्वारा किया जाता है। जेएनवीयू ने जीन सिक्वेंसींग करके एचओ-1 जीन को पृथक किया। पानी की कमी वाले इलाकों में एचओ-1 जीन को रेगुलेट करके ट्रायल किया गया, जो सफल रहा।
जीन सक्रिय रहने से तनाव झेल लेते हैं पादप

पादपों में एचओ-1 सक्रिय रहने से वे सूखे और लवण के प्रति उत्पन्न तनाव को झेल लेते हैं और मरते नहीं है। यहां तक जहरीली धातुओं के प्रति भी उनमें टॉलरेंस आ जाती है।
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‘एचओ-1 जीन की मदद से सूखे व लवणीय क्षेत्र में भी पैदावार बढ़ाई जा सकती है। इससे पेड़-पौधे विपरीत परिस्थितियों में भी जिंदा रह सकते हैं।’
प्रो. ज्ञानसिंह शेखावत, वनस्पति शास्त्र विभाग जेएनवीयू जोधपुर

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