थार प्रदेश में सूखे की समस्या के अलावा लवणीय भूमि की समस्या है। लवण अधिक होने के कारण भी पौधे कम पनपते हैं। इसके अलावा उद्योगों से निकले अपशिष्ट में जिंक, निकल, लैड, कैडमियम, मर्करी, कॉपर जैसी विषैली धातुओं के कारण भी पेड़-पौधे जीवित नहीं रह पाते हैं। जेएनवीयू के वनस्पति विभाग के प्रो. ज्ञानसिंह शेखावत ने मंूग और सरसो के पौधे पर इस संबंध में प्रयोग किए। उन्होंने सूखे व लवणीयता के लिए उत्तददायी एचओ-1 नामक जीन खोजी। विश्व में इतनी बड़ी खोज होने पर विज्ञान पत्रिका नेचर साइंटिफिक रिपोर्ट ने भी इस शोध को हाल ही में प्रकाशित किया।
हीम ऑक्सीजनेज एंजाइम स्त्रावित करता है एचओ-1
दरअसल पादपों में सूखा व लवणीय भूमि से लडऩे का कार्य हीम ऑक्सीजनेज एंजाइम करता है। इस एंजाइम का निर्माण एचओ-1 जीन द्वारा किया जाता है। जेएनवीयू ने जीन सिक्वेंसींग करके एचओ-1 जीन को पृथक किया। पानी की कमी वाले इलाकों में एचओ-1 जीन को रेगुलेट करके ट्रायल किया गया, जो सफल रहा।
जीन सक्रिय रहने से तनाव झेल लेते हैं पादप पादपों में एचओ-1 सक्रिय रहने से वे सूखे और लवण के प्रति उत्पन्न तनाव को झेल लेते हैं और मरते नहीं है। यहां तक जहरीली धातुओं के प्रति भी उनमें टॉलरेंस आ जाती है।
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‘एचओ-1 जीन की मदद से सूखे व लवणीय क्षेत्र में भी पैदावार बढ़ाई जा सकती है। इससे पेड़-पौधे विपरीत परिस्थितियों में भी जिंदा रह सकते हैं।’
प्रो. ज्ञानसिंह शेखावत, वनस्पति शास्त्र विभाग जेएनवीयू जोधपुर