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जोधपुर जिले के कांकाणी तथा गुड़ा विश्नोइयां गांव के बीच स्थित जंगलों में वर्ष 1998 में हुए काले हिरण शिकार मामले में चल रही अंतिम बहस में बचाव पक्ष ने बुधवार को हुई बहस में पूरी कार्यवाही को फर्जी बताते हुए उदाहरण स्वरूप कहा कि जिस गवाह ने कोर्ट में वन विभाग में किसी भी तरह के बयान नहीं देने का कहा, उसके नाम से अनुसंधान अधिकारी ने अपनी पत्रावली में छह पेज के बयान लगाए हुए थे।
मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट जोधपुर जिला के पीठासीन अधिकारी देवकुमार खत्री की अदालत में सलमान खान के अधिवक्ता हस्तीमल सारस्वत ने कहा कि अभियोजन की ओर से तैयार किए गए सभी गवाहों ने जिरह के दौरान जिस तरह अलग अलग तथ्य बताए, उससे वे स्वयं ही झूठे साबित हो गए। सुनवाई के दौरान अधूरी रही बहस आज भी जारी रहेगी।
चश्मदीद गवाह पर विश्वास नहीं किया जा सकता
बचाव पक्ष की ओर से अधिवक्ता हस्तीमल सारस्वत ने सोमवार को कहा था कि गवाह पूनमचंद विश्नोई ने कोर्ट में जिरह के दौरान इस बात से इनकार किया था कि उसने घटनास्थल पर काले हिरणों के शव के पास गोली, छर्रे या खोल देखे थे। उन्होंने कहा कि अभियोजन ने अपनी चार्जशीट में पूनमचंद द्वारा उप वन संरक्षक मांगीलाल सोनल को उनके घर पर रात को 9.15 बजे हरिण का शिकार करने की रिपोर्ट देने का जिक्र किया था। पूनमचंद ने जिरह में बताया था कि उसने दोपहर दो बजे रिपोर्ट दी थी। इस तरह से कई विरोधाभासी बयानों के कारण चश्मदीद गवाह पर विश्वास नहीं किया जा सकता।
अविश्वसनीय गवाह के बयानों के आधार पर सलमान सहित किसी को भी सजा देना न्यायोचित नहीं होगा। सारस्वत ने एक अन्य गवाह शेराराम के बयान और मुख्य परीक्षण में विरोधाभास उजागर किया। शेराराम ने बयान दिया था कि उसने 1-2 अक्टूबर 1998 की मध्य रात्रि में गाडिय़ों और लोगों की आवाजें सुनी थीं, जबकि मुख्य परीक्षण में उसने गोलियों की आवाज सुनने का दावा किया था। उन्होंने कहा कि शेराराम का घर घटनास्थल से दो से तीन किलोमीटर दूर है, इतनी अधिक दूरी से किसी भी तरह की आवाज सुनना संदेहास्पद है।
Published on:
16 Nov 2017 11:05 am
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