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video परम्पराओं की गहराई को समझने की जरूरत: डॉ.गुलाब कोठारी

पत्रिका समूह के प्रधान संपादक डॉ. गुलाब कोठारी ने ओसियां में आयोजित दिशा बोध कार्यक्रम में कहा कि परंपराओं की गहराई को समझने की जरूरत है।  

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जोधपुर

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MI Zahir

Apr 12, 2018

Dr. gulab Kothari Addressing in disha bodh jodhpur

Dr. gulab Kothari Addressing in disha bodh jodhpur

जोधपुर . पत्रिका समूह के प्रधान संपादक डॉ. गुलाब कोठारी ने कहा कि परंपराओं की गहराई को समझने की जरूरत है। वे गुरुवार सुबह ओसियां में स्थित लालचंद मिलापचंद ढड्ढा जैन कॉलेज प्रांगण में आयोजित दिशा बोध कार्यक्रम में जनसमूह को उद्बोधन दे रहे थे।

डॉ. कोठारी ने कहा कि शरीर में तीन चौथाई पानी है। अच्छे शब्द कहेंगे तो शरीर का जल स्वस्थ होगा। गलत शब्दों का प्रयोग होगा, तो रक्त में बीमारियां होने की स्थित पैदा होगी। हमारी परम्पराओं की गहराई को समझने की जरूरत है। भोजन, विचार सात्विक है तो रक्त दोष नहीं होगा। व्यक्तित्व निर्माण के लिए हमें क्या अच्छा-बुरा है, उसे समझना होगा। शब्दों का चयन सोच समझ कर करना होगा। श्रद्धा व सम्मान का भाव हो तो व्यवहार के व्यवधान कभी नहीं आएंगे।

अच्छे काम की हो तारीफ
उन्होंने कहा कि आदमी तभी बड़ा बनेगा, जब वह अच्छा काम करता है। जो अच्छा काम करेगा, उसकी तारीफ करनी होगी। सेवा क्यूं करते हैं? उसके चेहरे पर खुशी आती है। सामने वाले का मन प्रसन्न होगा। पूरा समाज परिवार बन जाता है। जीवन में बड़ा होना है तो मन को ताकतवर बनाना होगा। यह कार्य सिर्फ मां ही सिखा सकती है। संस्कार मां देती है। संकल्प नाम ही जिंदगी की पूजा है, हमें आदत डालनी है— मैं जो काम करूं, मेरा मन वहीं रहे, भटके नहीं। जिंदगी में आगे बढऩे का रास्ता पूजा, साधना यही है।

वर्तमान में जीना आना चाहिए
डॉ. कोठारी ने कहा कि वर्तमान में जीना आना चाहिए। कल क्या होगा? पता नहीं। मेरे हाथ में वर्तमान है। जिदंगी को इतना हल्का मत समझो। जिंदगी के भीतर ईश्वर जी रहा है। इसको पहचान लिया तो नारायण बन सकता है। बुद्धि, वाणी, मन की शक्तियों को समझना है। मन को समझना ही ध्यान है। मन की कोई भाषा नहीं है। हम पंच तत्व के सहारे जी रहे हैं तो पुन: प्रकृति को देने की आदत डालनी होगी। जिंदगी में सुख कम तो दुखी हो जाते हैं। हम कागज पर नियमित रूप से लिखें— दिन में कितनी बार बुरा लगा। मैं समाज में जो दिखाई देता हूं वह मन की भूमिका से दिखाई देता हूं।

मन पर टिकी है भक्ति
उन्होंने महाभारत के प्रसंग का वर्णन करते हुए कहा कि इस देश की ताकत यही है। पूरी भक्ति मन पर टिकी हुई है। हम सब के भीतर प्रेम के अलावा कुछ नहीं चाहिए।


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