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रामलला के भव्य मंदिर के पीछे है राजस्थान के इस शख्स हाथ, मुस्लिम कंट्री में भी दिखा चुके हैं अपना जलवा

राम मंदिर निर्माण कार्य के दौरान विनोद मेहता ने एक दिन भी छुट्टी नहीं ली। अब 22 जनवरी के बाद अपने पारिवारिक कार्यक्रम में भाग लेने आए तो मां से मिल भावुक हो गए। मां विलमकंवर के चरण स्पर्श कर बोले -यह मेरा सौभाग्य था कि यह कार्य मुझे मिला। इनके परिवार में पिता महावीरचंद जैन, पत्नी रीमा मेहता, बहन अंजू, भाई राजेन्द्र मेहता व बच्चे हैं।

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जन-जन के आराध्य भगवान श्रीराम के अयोध्या में बने भव्य मंदिर के निर्माण में जोधपुर के लाल विनोद मेहता की प्रमुख भूमिका रही। मंदिर निर्माण करने वाली कंपनी एलएंडटी की ओर से मेहता को मंदिर निर्माण के लिए प्रोजेक्ट डायरेक्टर बनाया गया, जिसे मेहता ने बखूबी निभाया। राम लला के मंदिर में विराजमान होने के बाद पहली बार जोधपुर आए मेहता ने बताया कि जीवन में कोई पुण्य कार्य किए हुए है, तब जाकर राम मंदिर निर्माण का कार्य मिला, जबकि मैं तो कतर में फीफा वर्ल्ड कप स्टेडियम बना रहा था।

राजस्थान का योगदान
मेहता ने बताया कि मंदिर निर्माण में राजस्थानका प्रमुख योगदान रहा है। भरतपुर जिले के बंशी पहाडपुर का बलुआ पत्थर काम में लिया गया है। वहीं, नक्काशी का काम पिण्डवाड़ा में कराया गया है, जहां करीब डेढ़ हजार कारीगर-श्रमिकों ने मिलकर नक्काशी का काम किया व पत्थरों को पैक कर अयोध्या भेजा।

कोविड के कारण मशीनरी ज्यादा लगी
मेहता ने बताया कि मंदिर निर्माण कार्य कोविड के दौरान शुरू हुआ। इसलिए मशीनरी का प्रयोग ज्यादा किया गया। रात-दिन 24 घंटे काम चला। मंदिर में करीब 27 हजार ग्रेनाइट के ब्लॉक्स लगाए गए हैं।

ओवरसीज प्रोजेक्ट्स पर किए काए
मूलत: जोधपुर निवासी मेहता ने पुणे से इंजीनियरिंग करके पहली जॉब सीएमसी बिल्डिंग में की। इसके बाद एलएण्डटी से जुड गए। मेहता पिछले करीब 20 सालों से ओवरसीज प्रोजेक्ट्स पर काम कर रहे हैं। इनमें कतर में फीफा वर्ल्ड कप स्टेडियम, ओमान में एयरपोर्ट, मस्कट में जर्मन यूनिवर्सिटी सहित दिल्ली में पार्लियामेंट लाइब्रेरी सहित कई प्रोजेक्ट्स पूरे किए।

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परम्परा-संस्कृति के साथ तकनीक का समावेश
मेहता ने बताया कि आगामी 1 हजार साल के लिए मंदिर तैयार करना सबसे बड़ी चुनौती था। इसके लिए ऑन पेपर कोई डिजाइन या तकनीक भी नहीं थी। पुरानी तकनीकी, परम्परा व संस्कृति को नई तकनीक के साथ समावेश कर मंदिर बनाना था। इसके अलावा मंदिर को टाइम बाउंड या एक समय सीमा में पूरा तैयार करना था, जो एक चुनौती थी।

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