जितने बड़े चुनाव उतना कम मतदान बड़े चुनावों में मतदान प्रतिशत कम होने का कारण प्रत्येक मतदाता तक प्रत्याशियों का सीधे तौर पर नहीं पहुंच पाना होता है। वार्डपंच और सरपंच के छोटे चुनावों में गांव के प्रत्येक मतदाता तक प्रत्याशी पहुंचते हैं। इसी कारण मतदान प्रतिशत 90 प्रतिशत के आस-पास पहुंच जाता है। विधानसभा चुनाव में मतदाता तक पहुंच थोड़ी कम होती है इसलिए प्रतिशत करीब 70 से 75 के बीच होता है। लेकिन लोकसभा चुनाव में प्रत्याशी और कम होने पर यह प्रतिशत इससे भी कम हो जाता है।
प्रदेश के आंकड़े एक नजर में – 2008 के विधानसभा चुनाव में 66.25 प्रतिशत।
– 2009 के लोकसभा चुनाव में 48.4 प्रतिशत मतदान।
– 2013 के विधानसभा चुनाव में 75.6 प्रतिशत।
– 2014 के लोकसभा चुनाव में 63.02 प्रतिशत मतदान।
– 2018 के विधानसभा चुनाव में 74.7 प्रतिशत।
– 2019 के लोकसभा चुनाव में चुनौती विधानसभा के बराबर पहुंचने की।
– 2009 के लोकसभा चुनाव में 48.4 प्रतिशत मतदान।
– 2013 के विधानसभा चुनाव में 75.6 प्रतिशत।
– 2014 के लोकसभा चुनाव में 63.02 प्रतिशत मतदान।
– 2018 के विधानसभा चुनाव में 74.7 प्रतिशत।
– 2019 के लोकसभा चुनाव में चुनौती विधानसभा के बराबर पहुंचने की।
जोधपुर लोकसभा क्षेत्र का गणित
वर्ष-चुनाव ————- मतदान प्रतिशत 1998-विधानसभा —— 61.4
1999-लोकसभा ——- 47.28 …
2003-विधानसभा —— 61.9
2004-लोकसभा —— 55.4
2008-विधानसभा —— 62.31
2009-लोकसभा ——- 45.14
2013-विधानसभा —— 74.3
2014-लोकसभा ——– 62.2
2018/विधानसभा —— 74.6 इनका कहना…
जितने छोटे स्तर के चुनाव होते हैं उतने ही प्रयास ज्यादा होते हैं। मतदाताओं को बूथ तक लाने के लिए। बड़े चुनाव में प्रत्याशी छोटे स्तर तक नहीं पहुंच पाते। इस कारण अधिक लोग मतदान तक नहीं आ पाते। हम तो लोगों को जागरूक करने के प्रयास करते ही हैं।
– अंशदीप, कार्मिक व स्वीप प्रकोष्ठ प्रभारी, जिला निर्वाचन शाखा