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Lok Sabha Elections 2019 : विधानसभा के मुकाबले देश के चुनाव में फीका पड़ जाता है राजस्थान का ‘जोश’

locationजोधपुरPublished: Apr 16, 2019 10:21:10 am

Submitted by:

Harshwardhan bhati

चंद माह बाद ही लोकसभा चुनाव में कम हो जाता है प्रतिशत
 

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अविनाश केविलया/जोधपुर. उठो, चलो, बढ़ो देश के नाम – अपनी अंगुली पर हो एक निशान। आपका मतदान – सबका अभिमान। यूथ फिर चला बूथ। ये कुछ नारे हैं जो प्रदेश की जनता को लोकसभा चुनावों ( Lok Sabha Elections 2019 ) में जागरूक करने के लिए दिए गए हैं। मुख्य निर्वाचन अधिकारी राजस्थान, जिला स्तर के अधिकारियों व अन्य संगठन साथ मिलकर मतदान प्रतिशत बढ़ाने के लिए जोर लगा रहे हैं। लेकिन एक हकीकत यह भी है कि हर बार विधानसभा चुनावों के चंद माह बाद होने वाले लोकसभा चुनाव में मतदान के प्रति लोगों में रुझान कम रह जाता है। मतदान प्रतिशत में यह गिरावट 5 से लेकर 15 प्रतिशत तक दर्ज की जाती है। तमाम प्रयासों के बाद अब तक यह ढर्रा सुधारा नहीं जा सका है। ऐसे में इस बार निर्वाचन आयोग के समक्ष यह चुनौती है कि विधानसभा चुनाव में जितना वोट कास्ट हुआ कम से कम उसके आस-पास अब लोकसभा चुनाव में भी मतदान हो।
जितने बड़े चुनाव उतना कम मतदान

बड़े चुनावों में मतदान प्रतिशत कम होने का कारण प्रत्येक मतदाता तक प्रत्याशियों का सीधे तौर पर नहीं पहुंच पाना होता है। वार्डपंच और सरपंच के छोटे चुनावों में गांव के प्रत्येक मतदाता तक प्रत्याशी पहुंचते हैं। इसी कारण मतदान प्रतिशत 90 प्रतिशत के आस-पास पहुंच जाता है। विधानसभा चुनाव में मतदाता तक पहुंच थोड़ी कम होती है इसलिए प्रतिशत करीब 70 से 75 के बीच होता है। लेकिन लोकसभा चुनाव में प्रत्याशी और कम होने पर यह प्रतिशत इससे भी कम हो जाता है।
प्रदेश के आंकड़े एक नजर में

– 2008 के विधानसभा चुनाव में 66.25 प्रतिशत।
– 2009 के लोकसभा चुनाव में 48.4 प्रतिशत मतदान।
– 2013 के विधानसभा चुनाव में 75.6 प्रतिशत।
– 2014 के लोकसभा चुनाव में 63.02 प्रतिशत मतदान।
– 2018 के विधानसभा चुनाव में 74.7 प्रतिशत।
– 2019 के लोकसभा चुनाव में चुनौती विधानसभा के बराबर पहुंचने की।

जोधपुर लोकसभा क्षेत्र का गणित
वर्ष-चुनाव ————- मतदान प्रतिशत

1998-विधानसभा —— 61.4
1999-लोकसभा ——- 47.28 …
2003-विधानसभा —— 61.9
2004-लोकसभा —— 55.4
2008-विधानसभा —— 62.31
2009-लोकसभा ——- 45.14
2013-विधानसभा —— 74.3
2014-लोकसभा ——– 62.2
2018/विधानसभा —— 74.6

इनका कहना…
जितने छोटे स्तर के चुनाव होते हैं उतने ही प्रयास ज्यादा होते हैं। मतदाताओं को बूथ तक लाने के लिए। बड़े चुनाव में प्रत्याशी छोटे स्तर तक नहीं पहुंच पाते। इस कारण अधिक लोग मतदान तक नहीं आ पाते। हम तो लोगों को जागरूक करने के प्रयास करते ही हैं।
– अंशदीप, कार्मिक व स्वीप प्रकोष्ठ प्रभारी, जिला निर्वाचन शाखा

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