रामचौकी मार्ग में बड़ी संख्या में वन्यजीव और आवारा गायें विचरण करती हैं। पानी की कमी से ये जीव इधर-उधर भटकते रहते थे। इस समस्या के स्थाई समाधान के लिए भाटी ने 65 हजार रुपए की लागत से सार्वजनिक स्थान पर 22 हजार लीटर का पक्का कुंड बनाया ताकि वन्यजीवों को आसानी से पेयजल उपलब्ध हो सके।
व्यवस्थित और सुचारू रूप से पानी उपलब्ध हो, इसके लिए उन्होंने समीप में अपनी पैतृक भूमि पर नलकूप खुदवाकर सात सौ फीट अंडरग्राउंड पानी की लाइन डालकर कुंड तक जोड़ दिया। इस कुंड का निर्माण हरियाणा से आए प्रशिक्षित कारीगरों द्वारा किया गया है। कुंड निर्माण के बाद अब प्रतिदिन सैकड़ों वन्यजीव, आवारा गायें तथा मूक पक्षी भी अपनी प्यास बुझा रहे है।
मिलती है दोगुनी खुशी भाटी कहते हैं, दो माह पूर्व कुंड बनवाने के बाद प्रतिदिन 2 से 3 हजार लीटर पानी की खपत होती थी। ये मात्रा बढकऱ अब प्रतिदिन 5 हजार लीटर से ज्यादा पहुंच गई है। उन्होंने बताया कि जीवों को पानी पीता देख आत्म संतुष्टि मिलती है, जिसे शब्दों में बयां नहीं किया जा सकता।
जीवों के प्रति लगाव भाटी ने बताया कि 2014 में एक सड़क दुर्घटना में उनके 18 वर्षीय पुत्र भरतसिंह की मौत हो गई थी। पुत्र की मौत ने उन्हें झकझोर कर रख दिया था, लेकिन स्वयं को संभालते हुए भाटी ने वन्यजीवों के प्रति अपना कार्य निरंतर जारी रखा।