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धूल फांक रहा वाटर ट्रीटमेंट प्लांट, वन्यजीव बदबूदार पानी में रहने को मजबूर

locationजोधपुरPublished: Dec 04, 2020 08:50:51 pm

Submitted by:

Nandkishor Sharma

 
कोरोनाकाल के आठ माह में भी नहीं हो सकी पॉण्ड की सफाई,
सरिसृप के पिंजरे भी दुर्दशा के शिकार
पत्रिका अभियान संकट में माचिया-4

धूल फांक रहा वाटर ट्रीटमेंट प्लांट, वन्यजीव बदबूदार पानी में रहने को मजबूर

धूल फांक रहा वाटर ट्रीटमेंट प्लांट, वन्यजीव बदबूदार पानी में रहने को मजबूर

नंदकिशोर सारस्वत

जोधपुर. करीब पांच साल पहले करोड़ों की लागत से निर्मित जोधपुर के माचिया जैविक उद्यान में सरिसृप ( रेप्टाइल प्रजाति के वन्यजीव) अजगर, मगरमच्छ, घडिय़ाल कछुए आदि भी सुरक्षित नहीं है। माचिया में करीब आधा दर्जन मगरमच्छ और घडिय़ाल तो लंबे अर्से से दूषित व बदबूदार पानी में रहने को मजबूर है। मगरमच्छ व घडिय़ाल के पौण्ड (जलकुण्ड) में लाखों रुपए की लागत का वाटर ट्रीटमेंट प्लांट रखरखाव के अभाव में पिछले एक साल से धूल फांकते कबाड़ में तब्दील हो चुका है।
रेप्टाइल गैलेरी में उड़ा रहे सीजेडए नियमों का मजाक

माचिया जैविक उद्यान में दर्शकों को आकर्षित करने के लिए निर्मित रेप्टाइल गैलरी दुर्दशा की शिकार है । वर्तमान में इस गैलेरी के पिंजरों में पक्षियों एवं छोटे स्तनधारियों को रखे जाने से दर्शक भी भ्रमित हो रहे और यहां लगे सभी सीसीटीवी कैमरे भी लंबे अर्से से बंद पड़े हैं। रेप्टाइल कक्ष के अजगर के पिंजरे में पर्याप्त रोशनी तक का अभाव है। रेप्टाइल गैलेरी के बाहर गंदगी का अंबार और छत पर लगे जाले इस बात के प्रतीक है कि पिछले कई माह से इस गैलरी की सफाई तक नहीं की गई है। कछुओं के साथ पक्षियों को रखा गया है जबकि इनके अंडो को पक्षियों की ओर से कई बार क्षतिग्रस्त किया जा चुका है। केन्द्रीय चिडिय़ाघर प्राधिकरण के नियमों के अनुसार विभिन्न प्रजातियों के पक्षियों को एक ही पिंजरे में रखना वर्जित है।
लापरवाही से नाकारा हो चुकी हैं लाखों की मशीनें
माचिया में लंबे अरसे से एकाकी जीवन जी रहे मगरमच्छ के जलकुंड के पानी को पिछले करीब 1 साल से फिल्टर तक नहीं किया गया है। फिल्टर हाउस की मशीनों पर जंग लग चुका है। लाखों रुपए की लागत की मशीनों को कभी चालू तक करने की जहमत नहीं उठाई गई है।

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