शांत हुई श्लील गाली गायन के अमिताभ की पुरकशिश आवाज
श्लील गाली गायक माइदास थानवी के निधन पर कला जगत में शोक की लहर

जोधपुर. पिछले 50 वर्षों से भी अधिक समय तक होली व शीतलाष्टमी पर अपनी गायकी का जादू बिखरने वाले 84 वर्षीय श्लील गाली गायक माइदास थानवी का सोमवार सुबह निधन हो गया। उनका अंतिम संस्कार चांदपोल स्थित श्मशान घाट में किया गया।
महाराजा मानसिंह के समय करीब २०० साल पहले शरू हुई श्लील गायन की परम्परा को अवाम की जुबां तक ले जाने का श्रेय गायक मारवाड़ रत्न माइदास को जाता है। रेलवे कर्मचारी रहे माइदास ने श्लील गाली गायन परम्परा को न केवल जोधपुर के आमजन बल्कि शहर से बाहर और प्रदेश स्तर पर एक नई पहचान दिलाई। खनकदार आवाज में श्लील गाली गायन से वे लोगों के दिलो दिमाग में वर्ष पर्यन्त छाए रहते थे। उन्हें श्लील गाली गायन के क्षेत्र का अमिताभ बच्चन भी कहा जाता था।
माईदास के निधन की खबर से शहर में शोक की लहर छा गई। कई संगठनों ने उनके निधन पर शोक व्यक्त किया है। राजस्थान संगीत नाटक अकादमी के पूर्व अध्यक्ष रमेश बोराणा ने माईदास के निधन को मारवाड़ के पारम्परिक होरी लोक गायन क्षेत्र व सांस्कृतिक विरासत की अपूरणीय क्षति बताया। अकादमी ने उन्हें कला पुरोधा सम्मान से सम्मानित किया था। पर्यावरणविद रामजी व्यास ने कहा कि मारवाड़ की लोकसंस्कृति के संरक्षण में उनका अभूतपूर्व योगदान हमेशा याद किया जाएगा। मंडलनाथ मेला आयोजन में भी वे बतौर मंडलनाथ ट्रस्ट अध्यक्ष के रूप में प्रमुख भूमिका निभाते रहे।
बेली फ्रेंड्स क्लब के मनोज बेली ने कहा कि उभरते युवा गेर गायकों ने माईदास से प्रेरणा लेकर गायन की शुरुआत की थी। उनके निधन पर मंडलनाथ मंदिर ट्रस्ट के मंडलदत्त थानवी, गुरुदत्त पुरोहित, प्रेमकुमार जोशी, श्यामसुंदर बाजक, राजेन्द्र वल्लभ व्यास, भाजपा शहर जिलाध्यक्ष देवेन्द्र जोशी, राज्यसभा सदस्य राजेन्द्र गहलोत ने भी शोक जताया।
शेखावत ने जताई संवदेना
केन्द्रीय मंत्री गजेन्द्र सिंह शेखावत ने मारवाड़ रत्न माइदास के निधन पर शोक प्रकट करते हुए कहा कि श्लील गायन की संगीत परम्परा को आगे बढ़ाने वाले थानवी की कमी कभी पूरी नहीं हो सकेगी। उन्होंने प्रदेश के वरिष्ठ मंत्री मास्टर भंवरलाल और जोधपुर विद्या भारती के संरक्षक सतपाल हर्ष के निधन पर भी दु:ख व्यक्त किया।
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