WHO के ग्लोबल कोरोना लिटरेचर में गिलोय से उपचार के शोध भी शामिल
-आयुर्वेद विवि ने किया था क्लिनिकल रिसर्च

जोधपुर. डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन् राजस्थान आयुर्वेद विश्वविद्यालय, जोधपुर में कोरोना मरीजों पर ट्रायल की गई गुडुची घनवटी यानी गिलोय की टेबलेट के उपचार के क्लिनिकल रिसर्च पर विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने मोहर लगाई है। डब्ल्यूएचओ की ओर से तैयार कोविड सम्बन्धित क्लिनिकल ट्रायल्स व अन्य अनुसंधानों के ग्लोबल लिटरेचर में आयुर्वेद विश्वविद्यालय की क्लिनिकल ट्रायल के दो रिसर्च पेपर्स भी शामिल किए गए हैं।
आयुर्वेद विवि ने बोरानाडा कोविड केयर सेंटर में जिला प्रशासन एवं चिकित्सा विभाग की अनुमति के बाद मरीजों पर ट्रायल के लिए सीटीआरआई में पंजीकरण कराकर शोध कार्य प्रारम्भ किया था। सेंटर पर 40 कोरोना पोजि़टिव मरीजों पर किया गया गुडुची घनवटी का चिकित्सात्मक अध्ययन सफ ल प्रयोग रहा। इस दौरान गुडुची घनवटी लेने वाले मरीज 5 से 7 दिनों में कोरोना नेगेटिव होने का दावा किया गया। इस औषध का सभी मरीजों के 30 दिन के फ ोलोअप के दौरान भी कोई दुष्प्रभाव नहीं दिखा।
विवि ने अपनी फार्मेसी में बनाई घनवटी
आयुर्वेद में रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने एवं ज्वरादि अन्य व्याधियों के उपचार के लिए प्रयुक्त होने वाली आयुर्वेदिक औषधि गुडुची घनवटी को गिलोय व अमृता नाम से भी जाना जाता है। रिसर्च में प्रयुक्त गुडुची घनवटी का निर्माण आयुर्वेद विश्वविद्यालय की फ ार्मेसी में क्वालिटी कन्ट्रोल के अन्तर्गत किया गया। इस शोध में मुख्य अन्वेषक विवि के कुलपति प्रो. अभिमन्यु कुमार, सह अन्वेषक डॉ. गोविन्द प्रसाद गुप्ता, डॉ. संजय श्रीवास्तव, डॉ. विनोद कुमार गौतम और डॉ. नेहा शर्मा थी।
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‘डब्ल्यूएचओ लिटरेचर में गुडुची घनवटी के शोध पत्र को शामिल होने से आयुर्वेद विवि के साथ देश का गौरव बढ़ा है।’
प्रो. अभिमन्यु कुमार सिंह, कुलपति, डॉ एसआरआर आयुर्वेद विवि जोधपुर
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