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Hanuman Jayanti: महाभारत के युद्ध में अर्जुन के रथ पर क्यों बैठे थे हनुमान जी

Hanuman Jayanti 2022

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Hanuman Jayanti: महाभारत के युद्ध में अर्जुन के रथ पर क्यों बैठे थे हनुमान जी

Hanuman Jayanti: महाभारत के युद्ध में अर्जुन के रथ पर क्यों बैठे थे हनुमान जी

जोधपुर. द्वापर युग में एक बार हनुमान जी जब रामेश्वरम तीर्थ के पास श्री राम के ध्यान में लीन थे तब अर्जुन वहां से गुजर रहे थे। उनकी मुलाकात अर्जुन से हुई। मुलाकात के दौरान अर्जुन ने उनसे पूछा कि राम और रावण के युद्ध के समय उन्होंने पत्थरों के सेतू की बजाय बाणों का सेतु क्यों नहीं बनाया। बाणों का सेतु आसानी से और जल्दी बन जाता। इस पर हनुमान जी ने अर्जुन से कहा कि बाणों का सेतु कमजोर होता और वह वानरों का भार सहन नहीं कर पाता। हनुमान जी के इस उत्तर पर अर्जुन हंसने लग गए। अर्जुन को अपने धनुर्धर होने का बड़ा अभिमान था। उसने उन्होंने कहा कि वह स्वयं अभी बाणों का सेतु बना कर दिखाता है।
अर्जुन ने Hanuman Ji से कहा कि अगर वह उनके बनाए बाणों के सेतू पर चल कर दिखा देते हैं और सेतू टूट जाता है तो वह अग्नि समाधि ले लेगा।

हनुमान जी ने हामी भर दी। अर्जुन ने कुछ ही देर में पास िस्थत सरोवर पर बाणों का सेतु बना दिया। हनुमान जी तब तक भगवान राम के ध्यान में लीन थे। जैसे ही बाणों का सेतु तैयार हुआ, हनुमान जी ने विराट रूप धारण किया और सेतु पर चलने लगे। पहला पांव रखने से ही सेतू डगमगाने लग गया। दूसरा पांव रखते ही पूरा सेतु टूटकर सरोवर में गिर गया। यह देख अर्जुन दुखी हो गए और उन्होंने समाधि के लिए अग्नि जला ली। जैसे ही अर्जुन अग्नि की ओर बढ़ने लगा, तब श्रीकृष्ण प्रकट हुए। उन्होंने कहा कि यह उनकी ही लीला थी। अर्जुन ने तब Hanuman Ji से क्षमा मांगी। हनुमान जी ने कहा की वह बहुत बड़े धनुर्धर है लेकिन कई बार अहंकार के कारण व्यक्ति अपना सब कुछ खो बैठता है। इसके बाद हनुमान जी ने महाभारत युद्ध के समय उनके रथ के शिखर के ऊपर बैठने की बात कही।

कौरवों और पांडवों के मध्य 18 दिनों तक चले युद्ध के दौरान हनुमान जी अर्जुन के रथ पर ध्वजा लिए सूक्ष्म रूप में बैठे रहे। युद्ध समाप्त होने के बाद जैसे ही हनुमान जी रथ के नीचे उतरे तो रथ विस्फोट के साथ तहस-नहस हो गया। अर्जुन ने श्रीकृष्ण को इसका कारण पूछा तो कृष्ण ने बताया कि उनके रथ पर अनेक बाण और युद्धास्त्र लगे हुए थे। अगर पवन पुत्र नहीं होते तो यह रथ कब का ध्वस्त हो चुका होता इसलिए हनुमान जी के उतरने से यह अब विस्फोट के साथ उड़ गया है।