परिजन मनीष ने बताया कि उन्हें मौके पर ट्रोली उपलब्ध नहीं हो पाई। जिम्मेदारों ने कहा कि दो घंटे लगेंगे। इस कारण उन्हें आखिर मरीज को उठाकर ले जाना पड़ा। दूसरी ओर अस्पताल में पांव में फ्रेक्चर हो रखे मरीज को भी पैदल चलना पड़ा, उन्हें भी ट्रोली उपलब्ध नहीं हो पाई। जबकि अस्पताल में चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी ट्रोली-व्हील चेयर चलाने और मरीज को भर्ती व डिस्चार्ज करने के बाद पैसे तक वसूलते हंै। इस बात की जानकारी जिम्मेदारों को हैं, लेकिन उसके बावजूद ढर्रा नहीं सुधार पा रहे। मौके पर मौजूद भाजपा जिला महामंत्री पवन आसोपा ने बताया कि इस तरह की स्वास्थ्य सेवाओं के कारण ही आजकल लोग निजी अस्पतालों की ओर रुख कर रहे है। ये महिला प्लास्टर कराने के बाद एक्सरे रुम के लिए जा रही थी। अस्पताल प्रशासन को इतना भी नहीं पता है कि उनके रिकॉर्ड में व्हील-चेयर और ट्रोलियां कितनी है।
क्या कहते हैं अधीक्षक मरीज को थोड़ी देर रुकने के लिए कहा था। चार-पांच ट्रोली-व्हील चेयर व्यस्त थी। इस बारे में मैंने नर्सिंग अधीक्षक से जवाब मांगा है। ट्रोलियां व व्हील चेयर का रिकॉर्ड रुम में पता करके बता पाउंगा।
– महेश भाटी, अधीक्षक, एमजीएच
– महेश भाटी, अधीक्षक, एमजीएच