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International Womens Day 2018 : ‘ये दाग अच्छे हैं…, इन्हें दिखाने में शर्म कैसी ?

जोधपुर की बेटी ने विटिलिगो को दी मात, बोली ये दाग अच्छे हैं, ईश्वर के दिए दाग को दिखाने में शर्म कैसी?

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Women"s Day Special Report-

जोधपुर की बेटी ने विटिलिगो को दी मात

के. आर. मुण्डियार.

बासनी (जोधपुर).

'खुद के लिए जीकर भी क्या जीना, औरों को रास्ता दिखाना भी जिन्दगी है। ऐसी ही एक मिसाल है जोधपुर की बेटी नीनू गलोत, जो लंदन में रहकर देश-दुनियां में हेय दृष्टि व भेदभाव रूपी तकलीफ से घिरे विटिलिगो (सफेद कोढ़) पीडि़तों को जिन्दादिल बनना सीखा रही है। विश्व महिला दिवस के मौके पर नीनूृ का संघर्ष न केवल हमारे लिए प्रेरणादायक है, बल्कि विटिलिगो को हीन भावना से देखने, भेदभाव व छुआ-छूत करने वाले वाले समाज की सोच बदलने के लिए अनूठा संदेश भी है। हाल ही विटिलिगो को लेकर मुम्बई में आयोजित शो में नीनू ने सिंघानिया घराने की नवाज मोदी सिंघानिया के साथ भाग लिया और देश-दुनिया को विटिलिगो पीडि़तों को हेय नजरों से देखने की बजाय उनके साथ खुशियां बांटने का संदेश दिया। इसके बाद जोधपुर पहुंची नीनू गलोत ने पत्रिका के साथ विशेष बातचीत की।

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लंदन (ब्रिटेन) में पेशे से एन्टरप्रिन्यौर

नीनू के अनुसार उसे 11 साल की उम्र में विटिलिगो हुआ। उसके बाद १४ साल तक वह इससे झूझती रही और इलाज करवाती रही। हाथों पर दास्ताने व लम्बी बाहों के कपड़े पहनकर दाग छिपाती रही। लेकिन इलाज से कुछ भी सफलता नहीं मिली तो खुद की सोच को बदलने की ठान ली और मन की हीन भावना को बाहर निकाल फैंका। सोच को पॉजिटिव करते हुए दाग को छिपाने की बजाय दिखाने से शुरू कर दिए। नीनू ने यह सोचना शुरू कर दिया कि वह अकेली ऐसी नहीं है। इसलिए जो भी और इससे ग्रसित है, उनकी सोच में भी बदलाव लाकर जिन्दगी में खुशियां लानी चाहिए। इसके बाद उसने झिझक को तोड़ते हुए लंदन में फैशन-फिटनेस प्रतियोगिता में भाग लिया। उसने खुद को सबके सामने कैटवॉक किया और तीसरे स्थान का पुरस्कार भी जीता। यहां से नीनू का हौसला बढ़ गया। पॉजिटिव सोच के चलते नीनू ने दो साल में न केवल खुद को बदल दिया, बल्कि औरों को भी जागरूक कर रही है। वह कहती है कि विटिलिगो केवल तनाव से बढ़ता है। माइंड सैट चेंज करने की जरूरत है यानि सोच पॉजिटिव रखो, विटिलिगो कंट्रोल हो जाएगा।

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'विटिलिगो' छूत की बीमारी नहीं

नीनू कहती है कि लोगों की यह सोच भी गलत है कि यह बीमारी जैनेटिक है और शादी के बाद बच्चों को भी हो जाती है। ऐसा कुछ नहीं होता। यह छूत की बीमारी भी नहीं है। छूने से भी किसी को नुकसान नहीं होता। इसलिए लोग विटिलिगो पीडि़तों से घृणा नहीं करें।

'औरों से डिफरेंट हूं मैं नीनू ने कहा कि '

भगवान ने मुझे औरों से अलग दिखाने के लिए ये दाग दिए, इसको मैंने सहर्ष स्वीकार किया। अब मुझे इन्हें दिखाने में कोई हर्ज नहीं। भारत समेत कई देशों में अनगिनत लोग हैं, जो इससे पीडि़त है, लेकिन इसको छिपाते हैं। उनके लिए एक ही संदेश है कि 'इन्हें छिपाए नहीं, हीन भावना से ऊपर उठें, जिन्दगी खुशहाल बनाएं।

नाइजीरिया में देगी संदेश-

मुम्बई में विटिलिगो पर शानदार प्रदर्शन करने के बाद अब नीनू गलोत आगामी दिनों में नाइजीरिया के अबुजा में होने वाले एक कार्यक्रम में विटिलिगो से निपटने के लिए आत्मविश्वास बढ़ाकर स्वस्थ होने पर अपना प्रदर्शन करेगी।

जोधपुर में है मकान-

नीनू का परिवार यानि जोधपुर मूल के रामदेव गलोत(पिता) व रेखा गलोत(मां) लंदन में बसे हैं। इनका जोधपुर के पाल बाइपास स्थित आशापुर्णा एंक्लेव में आवास है। लंदन में रहकर भी इस परिवार की नस-नस में मारवाड़ का अटूट प्रेम छलक रहा है। अंग्रेजी माहौल में पढऩे-लिखने के बावजूद नीनू परिवार के सदस्यों के साथ घर और भारत आने पर हिन्दी व मारवाड़ी में ही बात करती हैं।

तैयार कर रही डॉक्यूमेंट्री-

भारत में विटिलिगो पीडि़तों पर नीनू एक डॉक्यूमेंट्री तैयार कर रही है। इस सिलसिले में नीनू ने जोधपुर शहर, रामदेवरा, जैसलमेर सहित अन्य जगहों के भी कई पीडि़तों से कमेंट शूट किए हैं। नीनू ने बताया कि हमारे रूढीवादी समाज में विटिलिगो पीडि़तो को किस तरह हेय दृष्टि से देखा जाता है और यह भेदभाव कैसे मिट सकता है, इस पर डॉक्यूमेंट्री तैयार की जा रही है।

'बेटी पर गर्व हैं हमें"

नीनू के पिता रामदेव गलोत व मां रेखा गहलोत ने कहा कि हमें हमारी बेटी पर गर्व हैं। बेटी नीनू ने खुद ही आत्मविश्वास बढ़ाते हुए विटिलिगों की परेशानी से लडऩा सीख लिया है। अब उसे कोई परेशानी नहीं है। तनाव रहित जीवन खुशहाल तरीके से जी रही है। यह अब औरों के लिए प्रेरणा बन रही है। हम इसकी मुहिम में पूरी तरह साथ है।

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