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World Olympic Day: राज्यवर्धन सिंह राठौड़, रेगिस्तान का वो ‘हीरा’, जिसने एथेंस ओलंपिक में चमकाया भारत नाम

राठौड़ ने साल 2004 में हुए एथेंस ओलंपिक के दौरान निशानेबाजी में पुरुष डबल-ट्रैप में पहला रजत पदक जीत राजस्थान ही नहीं समूचे भारत का नाम रोशन किया था।

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जैसलमेर। हर साल 23 जून को वर्ल्ड ओलंपिक डे (World Olympic Day 2023) मनाया जाता है। 23 जून 1894 में पेरिस के सोरबोन में अंतरराष्ट्रीय ओलंपिक कमेटी (आईओसी) की स्थापना हुई थी। इसलिए हर साल पूरी दुनिया में 23 जून को आइओसी के स्थापना दिवस के रूप में वर्ल्ड ओलंपिक डे मनाया जाता है। भारत ने 1990 में पहली बार ओलंपिक में भाग लिया था। बता दें कि भारत ने ओलंपिक में अब तक 35 पदक जीते हैं। इस लिस्ट में ओलंपिक रजत विजेता पद्मश्री राज्यवर्धन सिंह राठौड़ (Rajyavardhan Singh Rathore) का भी नाम शामिल है। इनका जन्म 29 जनवरी 1970 में राजस्थान राज्य के जैसलमेर शहर में हुआ। राठौड़ ने साल 2004 में हुए एथेंस ओलंपिक (athens olympics) के दौरान निशानेबाजी में पुरुष डबल-ट्रैप में पहला रजत पदक जीत राजस्थान ही नहीं समूचे भारत का नाम रोशन किया था।

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राज्यवर्धन सिंह राठौड़ के पिता कर्नल लक्ष्मण सिंह राठौड़ भी आर्मी में थे। इनकी शुरुआती पढ़ाई जैसलमेर से हुई। इसके बाद इन्होंने स्ट्रेटेजिक स्टडीज में नेशनल डिफेन्स अकेडमी, पुणे से पोस्ट ग्रेजुएशन किया। अपने पिता ने नक्शे कदम पर चल राठौड़ देहरादून के इंडियन मिलिट्री अकेडमी में भर्ती हुए। इनकी माता का नाम मंजू राठौड़ है, जो कि एक शिक्षिका हैं। आपको जानकर आश्चर्य होगा की राज्यवर्धन सिंह की बचपन में क्रिकेट में काफी रूचि थी। उनका मध्यप्रदेश की रणजी ट्रॉफी टीम के लिए भी चुने गए थे, लेकिन उनकी मां को यह पसंद नहीं आया और उन्होंने सपोर्ट करने से मना कर दिया।

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नेशनल डिफेन्स एकेडमी में प्रशिक्षण और शिक्षा प्राप्त करने के बाद इंडियन आर्मी के एक सैनिक बन गए। कश्मीर में पोस्टिंग के दौरान निशानेबाजी की प्रतिभा प्रमुखता में आई और यहीं से उनकी करियर की शुरुआत हुई। 28 साल की उम्र में उन्होंने निशानेबाजी शुरू की। उन्होंने Indian Military Academy (IMA) में बास्केटबॉल, वॉलीबॉल, क्रिकेट, मुक्केबाजी, और वॉटर पोलो जैसे खेलों में स्वर्ण पदक भी जीते और इसके लिए उन्हें 'आईएमए के ब्लेज' पुरस्कार से सम्मानित किया गया। भारतीय सेना में मेजर के रूप में उन्हें 1990 में भारतीय सैन्य अकादमी से 'सम्मान की तलवार' से सम्मानित किया गया। 1996 में उन्होंने मध्य प्रदेश के महू में सेना मार्क्समैन इन्फेंट्री स्कूल में अपनी शूटिंग प्रशिक्षण शुरू किया था। इसके बाद में उन्होंने नई दिल्ली में डॉ. करनी सिंह शूटिंग रेंज में अपना अभ्यास जारी रखा।

1998 में उन्होंने शूटिंग रेंज पर कदम रखा जब सेना ने शूटिंग टीम का निर्माण करने का फैसला किया। भारतीय सेना में कर्नल के रूप में उन्होंने 'अति विशिष्ट सेवा पदक (एवीएसएम)' का पुरस्कार दिया गया। विशेष रूप से 1999 के कारगिल युद्ध में उनकी सेवाओं के लिए एक वीरता पुरस्कार मिला। जब 2004 एथेंस ओलंपिक में उन्होंने एक रजत पदक जीता था, तो इनके परिवार को केबल ऑपरेटर की हड़ताल के कारण टीवी पर गर्व का क्षण देखने को नहीं मिल पाया। 2004 में उन्हें राजीव गांधी खेल रत्न पुरस्कार भी मिला। इसके बाद 2005 में पद्मश्री आवार्ड, 2003-2004 में अर्जुन अवार्ड, 1990 में सोर्ड ऑफ ऑनर, 1990 में ही राठौर को सिख सैन्य दल की ओर से स्वर्ण पदक दिया गया। सन 2013 में सेना से स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति लेने के बाद उन्होंने भारतीय जनता पार्टी से जुड़कर राजनीतिक करियर की शुरुआत की। राठौड़ 9 नवंबर 2014 में आयोजित लोकसभा चुनाव में राजस्थान के जयपुर ग्रामीण की सीट से सांसद के रूप में निर्वाचित हुए। 3 सितंबर 2017 को वह भारत के खेल मंत्री के रूप में चुने गए।


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