
Chhattisgarh News: बस्तर के गांवों में केंद्रीय फोर्स के कैंप को हटाने की मांग पर पिछले दो सालों से चल रहे आंदोलनों का सिलसिला थमने का नाम नहीं ले रहा है। कांकेर जिले के बेचाघाट क्षेत्र में ग्रामीणों ने कैंप और पुलिया निर्माण के खिलाफ लगातार धरने, रैलियों और प्रदर्शनों का आयोजन किया है। हेतले गांव में भी बीएसएफ कैंप की स्थापना के खिलाफ प्रदर्शन किया गया था। वहीं, जाड़ेकुर्से गांव के लोगों ने सीएएफ कैंप को बनाए रखने के लिए जोरदार प्रदर्शन किया। इस प्रदर्शन में ग्रामीणों ने नारेबाजी करते हुए पुलिस प्रशासन, जिला प्रशासन, विधायक और सांसद तक अपनी बात पहुंचाई।
जाड़ेकुर्से गांव के लोगों ने साफ रूप से कहा है कि बीएसएफ और सीएएफ कैंप की तैनाती के बाद आसपास के क्षेत्रों में शांति व्यवस्था बनी हुई है। नक्सली गतिविधियों में कमी आई है। हालांकि, उन्होंने यह भी बताया कि नक्सली गतिविधियां पूरी तरह से खत्म नहीं हुई हैं। अगर कैंप हटती है, तो जाड़ेकुर्से के ग्रामीणों की जान को खतरा हो सकता है।
इसलिए उन्होंने मांग की है कि सीएएफ पुलिस कैंप को हटाना उचित नहीं है। 8 नवंबर को सुबह सूचना मिली कि कैंप के जवान समान समेट रहे हैं। इस पर गांववाले एकजुट होकर स्वस्फूर्त तरीके से कैंप को यथावत रखने की मांग करने लगे। उनका कहना है कि कैंप हटा, तो नक्सली हमले बढ़ेंगे। उन्हें मारा जाएगा। उन्होंने विधायक, सांसद, एसपी और कलेक्टर से अपनी बात रखी।
गांववासियों का कहना है कि सांसद और विधायक ने भी एसपी, कलेक्टर और आईजी से बात की है। उन्हें कैंप को बनाए रखने के निर्देश दिए हैं। बस्तर के कई अन्य स्थानों पर भी कैंप हटाने के खिलाफ आवाज उठाई जा रही है। ग्रामीणों का कहना है कि जबसे फोर्स तैनात हुई है, तबसे उनके क्षेत्र में शांति बनी हुई है। अगर कैंप हटता है, तो यह उनकी सुरक्षा के लिए खतरा साबित हो सकता है।
ग्रामीणों ने कांकेर सांसद को भी एक आवेदन लिखा है, जिसमें उन्होंने साफ रूप से कहा है कि फोर्स की तैनाती से क्षेत्र में शांति बनी हुई थी। आवेदन में ग्रामीणों ने यह भी उल्लेख किया है कि कैंप हटता है, तो उनकी जान को खतरा होगा। ग्रामीणों के इस प्रदर्शन ने पुलिस और प्रशासन को भी अलर्ट कर दिया है। सोशल मीडिया ग्रुप्स के माध्यम से कैंप रोकने के लिए चल रहे इस अभियान ने प्रशासन की नींद उड़ा दी है। आंदोलन से साफ है कि गांवों में लोगों की आवाज सुनने वाला कोई चाहिए। ग्रामीण अपने हक के लिए लड़ेंगे, यही उनकी सोच है।
भानुप्रतापपुर एसडीओपी प्रशांत पैकरा ने पत्रिका से बातचीत में बताया कि अभी कैंप के हटने या जवानों रुकने के संबंध में कोई आदेश नहीं आया है। ग्रामीणों की मांग को उच्च अधिकारियों तक पहुंचा दिया गया है। पुलिस प्रशासन लगातार क्षेत्र की सुरक्षा और शांति बनाए रखने के लिए काम कर रही है।
गौरतलब है कि जाड़ेकुर्से के ग्रामीणों की मांग इस पूरे मामले को नया मोड़ दे सकती है। उनकी आवाज ने साबित किया है कि ग्रामीण संगठित होकर अपने अधिकारों के लिए खड़े हो सकते हैं। अब देखना यह है कि प्रशासन इस मांग पर क्या निर्णय लेता है।? क्या सीएएफ कैंप हटाया जाएगा या यथावत रखा जाएगा? फिलहाल ग्रामीणों का संघर्ष जारी है। वे अपनी सुरक्षा के लिए कोई भी कदम उठाने को तैयार हैं।
Updated on:
11 Nov 2024 02:35 pm
Published on:
11 Nov 2024 01:56 pm
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