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नर्सों, मितानिनों के बाद अब अंशकालीन स्कूल सफाईकर्मियों ने अपनी मांगो को लेकर निकाली रैली

छग. अंशकालीन स्कूल सफाई कर्मचारी कल्याण संघ ने मिनी स्टेडियम में एक दिवसीय धरना प्रदर्शन कर शहर में रैली निकाली।

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chhattisgarh strike season

छग. अंशकालीन स्कूल सफाई कर्मचारी कल्याण संघ ने मिनी स्टेडियम में एक दिवसीय धरना प्रदर्शन कर शहर में रैली निकाली।

कांकेर. सफाई कर्मचारियों को पूर्णकालीन करने और लंबित वेतनमान को समयमान दिलाने सहित अपनी प्रमुख मांगों को लेकर सोमवार को छग. अंशकालीन स्कूल सफाई कर्मचारी कल्याण संघ ने मिनी स्टेडियम में एक दिवसीय धरना प्रदर्शन कर शहर में रैली निकाली। पूरे जिले के समस्त कर्मियों ने संगठन को एकजुटता दिखाते हुए मुख्यमंत्री के नाम तहसीलदार को ज्ञापन सौंपा।

संघ के पदाधिकारियों ने कहा कि शासकीय स्कूलों में कार्यरत समस्त सफाई कर्मचारियों को कई स्कूलों में दो घंटे के बजाए दिनभर कार्य लिया जाता है, जिस कारण अन्य कामों पर नहीं जा पाते हैं। जिससे जीविकोपार्जन में समस्या आती है। सूरजपूर जिले में चार घंटा अवधि लागू हो गया है उसी तरह कांकेर जिले में भी लागू किया जाए। संघ के पदाधिकारियों ने कहा कि जिले के हाईस्कूल में पदस्थ कर्मियों को पिछले एक वर्ष से वेतन नहीं मिला है, वहीं कुछ कर्मियों को पांच माह का बाकी है। मुख्यमंत्री से अपील करते हुए अपनी मांगों को पूर्ण करने की मांग किया है। ज्ञापन सौंपने वालों में धनीराम टांडिया, ईश्वर मंडावी, संतोष मंडावी, महेश्वर विश्वकर्मा, शांतिदेवी साहू, पुनारद सिन्हा, अनुसूईया, कोमल तुमरेटी, रामनाथ साहू, सहित अन्य पदाधिकारी शामिल थे।

साहूकारों से लेना पड़ रहा उधार :- कर्मियों ने बताया कि वेतन नहीं मिलने के कारण उनकी आर्थिक स्थिति गड़बड़ा रही है। साहूकारों से परिवार के जीकोर्पाजन के लिए उधार में सामान लेकर काम चलाना पड़ रहा है। लंबे समय से सामान उधार में लेने के कारण अब दुकानदार भी सामान देना बंद कर दिए है। कर्मियों ने कहा कि सरकार उनकी जायज मांगों पर पहले प्राथमिक दे।

जिले के समस्त विकासखंड़ों के विभिन्न स्कूलों में पदस्थ कर्मियों ने संगठन में मजबूती लाने के लिए एकता दिखाई। धरना प्रदर्शन के बाद रैली निकाली गई, जो शहर के प्रमुख मार्गों से होकर उपर नीचे रोड़ से होते हुए कलक्टोरेट मार्ग में पहुंची। संघ के पदाधिकारियों ने कहा कि अगर 15 दिनों के भीतर उनकी मांग पूरी नहीं हुई तो वे उग्र आन्दोलन के लिए बाध्य होंगे, जिसकी जिम्मेदारी प्रशासन की होगी। उनकी जायज मांगों पर विचार नहीं किया जा रहा है।