
सोनई-रुपई तालाब
Sonai-rupai Pond: कांकेर में स्थित गढ़िया पहाड़ का इतिहास कई हजार साल पुराना है। यह पहाड़ जमीन से करीब 660 फीट ऊंचा है। इस पहाड़ के ऊपर सोनई-रुपई नाम का एक तालाब स्थित है। इस तालाब का पानी सालभर भरा रहता है यानि कभी सूखता नहीं है।
इस तालाब की सबसे ख़ास बात यह है कि सुबह और शाम के दौरान इसका आधा पानी सोने और आधा पानी चांदी की तरह चमकने लगती है। हर साल यहाँ महाशिवरात्रि पर भव्य मेला का आयोजन होता है। हर साल इस जगह गढ़िया महोत्सव का भी आयोजन किया जाता है। इस महोत्सव में लोककला की बहुरंगी छटा दिखाई देती है।
गढ़िया पहाड़ के बारे में एक किंवदंती यह है कि इस पहाड़ पर लगभग 700 साल पहले धर्मदेव कंड्रा नाम के एक राजा का किला स्थित था। राजा के द्वारा ही यहां पर तालाब का निर्माण करवाया गया था। राजा धर्मदेव की सोनई और रुपई नाम की दो बेटियां थीं। वे दोनों इसी तालाब के पास कहे;ने जाया करती थीं।
फिर एक दिन दोनों खलते-खलते तालाब में डूब गईं। इस दिन के बाद से ही माना जाता है सोनई-रुपई की आत्माएं इस तालाब की रक्षा करती हैं। इस वजह से इस तालाब का पानी कभी नहीं सूखता। पानी का सोने-चांदी की तरह चमकना सोनई-रुपई के यहां मौजूद होने के तौर पर देखा जाता है।
टूरी हटरी बाजार
टूरी हटरी को गढ़िया किले की बस्ती का हृदय स्थल कहा जाता है। बताया जाता है कि यह दैनिक बाजार के साथ जन सम्मेलन, मेला, सभा आदि के उपयोग आता था। अभी भी देखा जाता है कि उस जमाने के मिट्टी के बर्तन और ईंट-खपरों के टुकड़े आज भी यहां मिलते हैं। गढ़िया पहाड़ के ऊपर एक बड़ा सा मैदान भी है।
कहा जाता है कि किले में निवास करने वाले राजा और उनके सैनिकों की आवश्यकता की वस्तुएं इसी मैदान में बिक्री के लिए आती थीं। इस बाजार में लड़कियां सामान बेचने के लिए लाया करती थीं। इस वजह से ही इसका नाम टूरी हटरी पड़ गया।
Published on:
26 Nov 2022 06:45 pm
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