
इंद्रावती में हरियाली लाने की गई अनूठी पहल, यात्रा कर रहे लोग वहां छोड़ रहे सीड बॉल, बारिश में बनेंगे पौधे
जगदलपुर. इंद्रावती (Indravati) बचाने हर दिन नदी किनारे पदयात्रा की जा रही है। गुरुवार को यात्रा में नदी बचाने के लिए एक नई मुहिम की शुरुआत हो गई। इसके तहत नदी किनारे सीड बॉल (Seed Ball) यानी पौधों के बीज छोड़े जा रहे हैं। चार प्रकार के बीज इन बॉल (Seed Ball) में डाले गए हैं। सीताफल, आंवला, गुलमोहर, बांस के पौधे के बीच इनमें शामिल हैं। सीड बॉल (Seed Ball) छोडऩे की पहल आंदोलन से जुड़े अनिल लुंकड़ ने की है। उन्होंने बताया कि गुरुवार को नौवें दिन की यात्रा में करंजी से सिंघनपुर के बीच 500 से ज्यादा सीड बॉल (Seed Ball) पदयात्रियों ने छोड़े।
वे बताते हैं कि सीड बॉल (Seed Ball) मिट्टी के बॉल की तरह हैं इसमें पौधों के बीज डले हुए हैं। बारिश (Baarish) होने पर मिट्टी घुलने के साथ ही बीज अंकुरित होने लगेंगे और वे पौधों का रूप ले लेंगे। उन्होंने बताया कि सीड बॉल से 50 से 60 प्रतिशत पौधे मिलने की उम्मीद रहती है।
इंद्रावती बचाने मुश्किल रास्तों से होकर आगे बढ़ रहे पदयात्री, आठ गांव के लोगों ने भी साथ बढ़ाया कदम : इंद्रावती बचाने निकाली जा रही पदयात्रा का गुरुवार को नौवां दिन था। यात्रा अब तक नदी किनारे के जिन गांवों से होकर गुजरी है, वहां के ग्रामीणों ने आंदोलन को अपना समर्थन दिया है।
गुरुवार को यात्रा जब करंजी से सिंघनपुर के लिए बढ़ी तो इसके साथ आठ गांव के लोग जुड़े और पदयात्रा करते हुए आंदोलन को अपना समर्थन दिया। करंजी, कुदालगांव, डोंगरीगुड़ा, टेकामेटा, पोटानार, मुंडापारा, घाटकवाली और सिंघनपुर के ग्रामीण यात्रा में शामिल हुए। नौवें दिन की पदयात्रा संपन्न होने के बाद शहर के लोगों ने ग्राम सरपंच और अन्य ग्रामीणों को अंग वस्त्र पहनाकर सम्मानित किया। इस बीच पदयात्रा में शामिल ग्रामीणों ने जल बचाने तथा पेड़ लगाने (Tree Plantation) का संकल्प लिया।
सीड बॉल (Seed Ball) को ऐसे समझें
सीड बॉल (Seed Ball) पौधरोपण (Tree Plantation) की वह तकनीक है जिसमें पौधा लगाने के बाद उसकी देखभाल करने की चिंता नहीं होती। पौधा प्राकृतिक रूप से विकसित होता है। मिट्टी के बॉल (Soil Ball) में बीज होता है। साथ ही उसमें खास तरह का केमिकल भी डाला जाता है ताकि बीज को दीमक या पक्षियों से नुकसान ना हो। सीड बॉल (Seed Ball) में कैमिकल डालने से उससे एक गंध आती है। इस वजह से उससे दीमक और पक्षी दूर रहते हैं। इससे पक्षियों को कोई नुकसान नहीं होता है। बीज से पौधे बनने की संभावना 50 से 60 फीसदी तक होती है।
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Published on:
18 May 2019 02:12 pm
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