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सिख दंगों के 36 साल बाद जांच के लिए पहुंची SIT, इंसाफ की जगी उम्मीद

पीएम नरेंद्र मोदी के निर्देश के बाद उत्तर प्रदेश के सीएम योगी आदित्यनाथ ने सिख दंगों की जांच के लिए 2019 में एक एसआईटी का गठन किया था।

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कानपुर. पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी (Ex Prime Minister Indira Gandhi) की हत्या (Murder) के बाद उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) का कानपुर (Kanpur) भी सिख दंगों (Sikh Riots) की आग में झुलसा था। 1984 के दंगों के 36 साल बीत जाने के बाद विशेष जांच दंल (SIT) कानपुर जांच करने पहुंची है। ताला तोड़कर एसआईटी ने एक घर से मानव अवशेषों समेत कुछ सबूत इकट्ठा किए हैं।

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सालों से कर रहे थे इंसाफ का इंतजार

एसआईटी के आने के बाद सालों से इंसाफ के लिए इंतजार कर रहे सिख समुदाय के लिए मरहम लगाता दिख रहा है। सिख समुदाय को इंसाफ का इंतजार करते-करते तीन दशक से ज्यादा का समय बीत गया है।

बड़ी बेरहमी के साथ की गई थी हत्या

पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की हत्या के बाद पूरे देश में सिख विरोधी दंगे हुए थे। सरकारी आकड़ों की मानें तो कानपुर में हुए सिख विरोधी दंगे में 127 लोगों को मौत के घाट उतारा गया था। कई घरों को लूटपाट किया गया। एक ही परिवार के कई-कई सदस्यों को बड़ी बेरहमी के साथ मौत के घाट उतार दिया गया था तो कुछ लोगों को जिंदा आग के हवाले कर दिया गया था।

CM योगी ने गठित की थी SIT

पीएम नरेंद्र मोदी के निर्देश के बाद उत्तर प्रदेश के सीएम योगी आदित्यनाथ ने सिख दंगों की जांच के लिए 2019 में एक एसआईटी का गठन किया था। इस एसआईटी को तमाम विशेष शक्तियां दी गईं और निष्पक्ष जांच करने को कहा गया था। फॉरेंसिक जांच में एक मकान में जहां खून मिला तो वहीं आग से जलाए जाने के सुबूत भी मिले हैं। किदवई नगर में स्थित तत्कालीन गुरुद्वारे में कथित दंगाइयों ने दो लोगों की बेरहमी से हत्या कर दी गई थी। पुलिस ने घटना के 36 साल बाद यहां से सुबूत जुटाए हैं।

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