scriptआपराधिक छवि के हैं यूपी के 143 विधायक, एक को मिल चुकी है उम्रकैद की सजा | 143 mlas are alleged in serious criminal cases in up | Patrika News

आपराधिक छवि के हैं यूपी के 143 विधायक, एक को मिल चुकी है उम्रकैद की सजा

locationलखनऊPublished: Aug 11, 2021 05:38:29 pm

Submitted by:

Nitish Pandey

यूपी विधानसभा में आठ विधायक ऐसे हैं जिनपर हत्या का मुकदमा चल रहा है। 34 विधायकों पर हत्या की कोशिश का मुकदमा चल रहा है।

143_mlas_criminal_cases.jpg
लखनऊ. उत्तर प्रदेश की विधानसभा में 403 में से 143 ऐसे विधायक हैं जिनके खिलाफ सूबे के तमाम जिलों में आपराधिक मुकदमे दर्ज हैं। 143 विधायकों में से 101 विधायकों पर तो गंभीर धाराओं में मुकदमा दर्ज है। जिसमें हत्या, हत्या के प्रयास, धोखाधड़ी और छेड़खानी जैसे केस दर्ज हैं। एडीआर रिपोर्ट के आंकड़ों की माने तो उत्तर प्रदेश विधानसभा में बीजेपी के 114, समाजवादी पार्टी के 14, बसपा के पांच और कांग्रेस के एक विधायक पर गंभीर धाराओं में मुकदमा दर्ज है।
यह भी पढ़ें

UP Assembly Elections: ओबीसी आरक्षण, सियासत में हावी हुई जात-पात

यूपी विधानसभा में बाहुबलियों की फौज

यूपी विधानसभा में आठ विधायक ऐसे हैं जिनपर हत्या का मुकदमा चल रहा है। 34 विधायकों पर हत्या की कोशिश का मुकदमा चल रहा है। एक विधायक पर तो महिला से छेड़छाड़ का आरोप हैं और 58 विधायकों के खिलाफ अन्य गंभीर धाराओं में मुकदमा दर्ज है। इस फेहरिस्त में मुख्तार अंसारी, ब्रजेश सिंह, राजा भैया, सुशील सिंह, विजय मिश्रा समेत कई विधायक शामिल हैं। मुख्तार अंसारी और विजय मिश्र पर 16-16 मुकदमे दर्ज हैं। बहुजन समाज पार्टी से एमएलए असलम अली पर 10 मुकदमें दर्ज हैं।
उम्रकैद की सजा पा चुके हैं विधायक सेंगर

विधायक कुलदीप सिंह सेंगर उम्रकैद की सजा पा चुका है। यूपी में तो बीजेपी कुलदीप सिंह सेंगर को उम्रकैद की सजा के बाद भी बचाती रही। अंतत: छिछालेदार के बाद उसे पार्टी से बाहर का रास्ता दिखाया। आज भी कुलदीप विधायक है। इनके अलावा हरिशंकर तिवारी, रघुराज प्रताप सिंह ऊर्फ राजा भइया, अतीक अहमद, अमरमणि त्रिपाठी, धनंजय सिंह, ब्रजेश सिंह, सुशील सिंह आदि माफिया राजनीति में हाथ आजमा चुके हैं।
खादी पहनकर अहिंसा का पाठ पढ़ाने वालों पर आरोप

अपनी सियासी जमीन को सींचने के लिए खून बहाने का चलन उत्तर प्रदेश में कोई नया नहीं है। सूबे का इतिहास ऐसी कई घटनाओं से पटा पड़ा है। जहां सियासतदानों पर उंगलियां उठती रही हैं। फिर चाहे वो गाजीपुर का कृष्णानंद राय हत्याकांड हो, इलाहाबाद के विधायक राजूपाल की हत्या का मामला हो या फिर बसपा सरकार में मंत्री रहे नंदगोपाल नंदी पर जानलेवा हमले का मामला। हर बार खादी पहनकर अहिंसा का पाठ पढ़ाने वाले ही यहां आरोपों के घेरे में रहे हैं।
जरायम की दुनिया से सत्ता की गलियारे तक

सियासत का चोला ओढ़कर बेखौफ घूम रहे इन सियासतदानों के आगे कानून भी बौना नजर आता है। वर्चस्व की लड़ाई अब जरायम की दुनिया से निकलकर सत्ता के गलियारे तक पहुंच गई है। सियासत का अपराध से नाता सियासतदानों ने ही जोड़ा। अपने दुश्मनों को रास्ते से हटाने के लिए नेताओं ने माफियाओं का इस्तेमाल किया और धीरे-धीरे ये माफिया राजनीति में सक्रिय हो गए।
loksabha entry point

ट्रेंडिंग वीडियो