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गले के कैंसर रोगियों को अब महज १० हजार रुपए में ही मिल जाएगा वोकल कार्ड

विदेशी कंपनियों से आयातित वोकल कार्ड एक लाख रुपए में मिलता हैदेश में पहली बार एलिम्को ही करेगा इसका उत्पादन, मिलेगी बड़ी राहत

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गले के कैंसर रोगियों को अब महज १० हजार रुपए में ही मिल जाएगा वोकल कार्ड

कानपुर। गले और मुंह के कैंसर रोगियों को आवाज लौटाने वाला कृत्रिम वोकल कार्ड खरीदने के लिए एक लाख रुपए खर्च नहीं करने पड़ेंगे। देश में पहली बार कानपुर स्थित भारतीय कृत्रिम अंग निर्माण निगम लिमिटेड (एलिम्को) इसका उत्पादन करेगा। जो अब केवल १० हजार रुपए में ही मिल जाएगा। अभी तक इसके लिए विदेशी कंपनियों पर निर्भर रहना पड़ता है। अब एलिम्को में इसका निर्माण होने से मुंह और गले के कैंसर रोगियों को बड़ी राहत मिल जाएगी। इसके निर्माण में बेंगलुरु के एक वैज्ञानिक के रिसर्च को आधार बनाया जाएगा। देश में पिछले दो वर्षों में ३५ हजार 410 वयस्कों को वोकल कार्ड का कैंसर हुआ था, जबकि हर साल कानपुर के जेके कैंसर अस्पताल में १२०० गले के कैंसर रोगी हर साल आते हैं।

सिगरेट और उल्टी बीड़ी पीने से होती बीमारी
वोकल कॉर्ड में कैंसर पान मसाला खाने और सिगरेट और उल्टे तरीके से बीड़ी पीने होता है। असामान्य कोशिकाओं के छोटे क्षेत्रों के रूप में इसकी शुरूआत होकर बड़े रूप में फैल जाता है। आमतौर पर ऑपरेशन से ही मरीजों को राहत दी जाती है। कैंसर कुछ कोशिकाओं में शुरू होता है जो स्वतंत्र की कोशिकाओं में फैल जाता है। कैंसर सर्जन डॉ. मोहम्मद अतहर का कहना है कि गर्दन के ऊपरी हिस्से और नाक के पीछे से शुरू होने वाला कैंसर वोकल कार्ड को तेजी से प्रभावित करता है। यह तेजी से बढ़कर तालू तक पहुंच जाता है। आवाज में दरार या स्वर बैठने, निगलने या सांस लेने में परेशानी, खराश, खांसी या कान का दर्द जो दूर नहीं होता है उन कैंसर रोगियों का वोकल कार्ड डैमेज हो जाता है।

बेंगलुरु के वैज्ञानिक की रिसर्च आएगी काम
भारतीय कृत्रिम अंग निर्माण निगम लिमिटेड इसके लिए बेंगलुरु के वैज्ञानिक के रिसर्च को आधार बनाएगा। कृत्रिम वोकल कार्ड पूरी तरह इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस पर आधारित चिप है, जिसे आसानी के साथ मरीजों में लगाया जाता है। यह लाइरिंक्स के आसपास की कोशिकाओं में फिट की जाती है। इससे उत्पन्न तरंगें इंसान को बोलने की क्षमता देती हैं। इसे बनाने में कठोर टाइटेनियम/सिलिकॉन का इस्तेमाल होगा। एलिम्को के अधिकारियों के मुताबिक कृत्रिम वोकल कार्ड की डिमांड उन देशों में अधिक है जहां गले का कैंसर सर्वाधिक हो रहा है। देश में उत्पादन शुरू होने से कई देशों में इसकी सप्लाई की जा सकती है। करीब ४ लाख लोगों को दुनियाभर में हर साल वोकल कार्ड की जरूरत पड़ती है।

मरीजों को होगा फायदा
कैंसर सर्जन डॉ. मोहम्मद अतरह का कहना है कि कुछ विशेष तरह के मुंह और गले के कैंसर रोगियों का वोकल कार्ड (वायस बॉक्स) हटाना पड़ता है। तालू में होने वाले कैंसर में वोकल कार्ड हटाना पड़ता है। कुत्रिम वोकल कार्ड मरीजों के लिए फायदेमंद होगा। ईएनटी विशेषज्ञ डॉ. देवेंद्र लाल चंदानी के मुताबिक मुंह और गले के कैंसर रोगियों की संख्या लगातार बढ़ रही है। अब ऑपरेशन की वॉल्व सर्जरी समेत कई तकनीक विकसित हो गई हैं जिससे वोकल कार्ड या वायस पैदा करने वाले हिस्से को बचाया जा सकता है। एलिम्को के सीएमडी डी आर सरीन ने बताया कि मुंह और गले के कैंसर रोगियों के लिए वोकल कार्ड बनाने के लिए तकनीक ली जा रही है। बेंगलुरु के वैज्ञानिक ने रिसर्च प्रस्तुत किया है, जिसे तकनीकी कमेटी ने हरी झंडी दे दी है।