
इस वोट से गिरी थी अटल जी की सरकार, फूलबाग की रैली में खोला था उस नेता का नाम
कानपुर। 19 साल पहले कांग्रेस ने अटल बिहारी वाजपेयी सरकार के खिलाफ संसद में अविश्वास मत लाकर खलबली मचा दी थी। संसद के पटल पर अटल की सरकार एक वोट से गिर गई थी। अटल सरकार को सत्ता से बाहर करने वाला वो वोट गिरधर गमांग का था जो उस वक्त उड़ीसा (अब ओडीशा) के मुख्यमंत्री थे। अटल बिहारी वाजपेयी को पता था कि गमांग वोट देने के लिए नहीं आएंगे और वह संसद में विश्वास मत हासिल कर लेंगे, पर ऐसा नहीं हुआ। गमांग ऐन वक्त आकर पूरा खेल बिगाड़ दिया और अटल जी को प्रधानमंत्री पद से इस्तीफा देना पड़ा। पूर्व प्रधानमंत्री अटल विहारी बाजपेयी ने इस्तीफा देने से पहले ऐसा भाषण दिया, जिससे विपक्ष ही नहीं पूरे देश के लोग उनके एक-एक शब्द बसा लिया। यही अविश्वास प्रस्ताव अटल जी के लिए संजीवनी बना था। 1999 लोकसभा चुनाव के वक्त उन्होंने फूलबाग मैदान में रैली की, जहां उन्होंने गमांग का नाम लिया, मायावती पर वार कर ऐसे गरजे की बरसात की तरह उनके पक्ष में वोट पड़े और वो तीसरी बार प्रधानमंत्री के रूप में शपथ ली और पूरे पांच साल तक सरकार चलाई। ऐसा ही कुछ नाजारा शुक्रवार को संसद की पटल पर चल रहा है। मोदी सरकार के खिलाफ तेलगू देशम पार्टी के अविश्वास मत को लेकर देश की सियासत गरमाई हुई है।
ऐन वक्त में आकर गिरा दी सरकार
1999 में कांग्रेस के जरिए अटल बिहारी वाजपेयी के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाया गया, उन्हें पता था कि सरकार बच जाएगी पर ऐसा नहीं हुआ। एक वोट से सरकार गिर गइ और यह वोट था गिरधर गमांग का जो उस वक्त उड़ीसा (अब ओडीशा) के मुख्यमंत्री थे। अटल बिहारी बाजपेयी इससे इतने हतप्रभ हुए थे कि काफी देर तक चुपचाप सदन में अपनी सीट पर बैठे रहे थे। दरअसल उन्हें विश्वास ही नहीं था कि उनकी सरकार अविश्वास प्रस्ताव हार जाएगी। मायावती की वादाखिलाफी के बावजूद उन्हें सरकार बचा ले जाने का भरोसा था। लेकिन गिरधर गमांग की अंतिम समय में हुई एंट्री ने पासा पलट दिया। दरअसल गमांग बतौर सांसद उड़ीसा के मुख्यमंत्री बनकर जा चुके थे। उन्हें छह महीने में विधायक बनना था। लेकिन उन्होंने संसद की सीट नहीं छोड़ी थी। इसलिए कांग्रेस उन्हें वोटिंग के लिए विशेष तौर पर लाई। हालांकि उनके इस तरह से वोट करने की काफी आलोचना हुई थी लेकिन चूंकि नियम स्पष्ट नहीं थे तो उनका वोट वैध माना गया और वही निर्णायक साबित हुआ। अन्यथा बराबर रहने पर स्पीकर के वोट से भी बीजेपी सरकार बच जाती।
पंडित नेहरू को करना पड़ा था सामना
मोदी सरकार के खिलाफ आज लोकसभा की पटल में अविश्वास प्रस्ताव लायगा गया, जिसकी कार्यवायी चल रही है। लेकिन संसदीय इतिहास में नजा डाले में सत्तर साल में 26 बार लोकसभा में विभिन्न सरकारों के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाया जा चुका है। सबसे पहले नेहरू तो सबसे ज्यादा इंदिरा गांधी सरकार को 15 बार सदन में अविश्वास प्रस्ताव का सामना करना पड़ा। इतिहासकार मनोज कपूर बताते हैं कि संसद में पहली बार 1963 में तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाया गया था। इस प्रस्ताव को प्रजा सोशलिस्ट पार्टी के तत्कालीन सांसद जेबी कृपलानी लाए थे। हालांकि, इस अविश्वास प्रस्ताव से नेहरू सरकार की सेहत पर कोई असर नहीं पड़ा। जेबी कृपलानी द्वारा नेहरू सरकार के खिलाफ लाए गए प्रस्ताव के पक्ष में 62 वोट और विरोध में 347 वोट पड़े। इस तरह से ये अविश्वास प्रस्ताव औंधे मुंह गिर गया।
सबने चखा अविश्वास प्रस्ताव
लाल बहादुर शास्त्री सरकार के दौरान उन्हें भी उनके तीन साल के कार्यकाल में विपक्ष द्वारा लाए गए तीन बार अविश्वास प्रस्ताव का सामना करना पड़ा। इंदिरा गांधी के खिलाफ विपक्ष 15 बार अविश्वास प्रस्ताव लाया, पर एक भी बार उसे कामयाबी नहीं मिली। नरसिम्हा राव की सरकार को भी तीन बार अविश्वास प्रस्ताव का सामना करना पड़ा था। 1993 में नरसिम्हा राव बहुत कम अंतर से अपनी सरकार के खिलाफ लाए गए अविश्वास प्रस्ताव को मात दे पाए। अटल बिहारी वाजपेयी सरकार के खिलाफ विपक्ष ने दो बार अविश्वास प्रस्ताव पेश किया। प्रधानमंत्री रहते हुए वाजपेयी को को दो बार अविश्वास प्रस्ताव का सामना करना पड़ा। इनमें से पहली बार तो वो सरकार नहीं बचा पाए, लेकिन दूसरी बार विपक्ष को उन्होंने मात दे दी। इसके बाद 2003 में वाजपेयी के खिलाफ लाए अविश्वास प्रस्ताव को एनडीए ने आराम से विपक्ष को वोटों की गिनती में हरा दिया था। वर्ष 2008 में सीपीएम मनमोहन सिंह के नेतृत्व वाली यूपीए सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाई थी, जहां उन्हें मुंह की खानी पड़ी थी।
---तो पीएम मोदी के लिए बनेंगा संजीवनी
डीएवी कॉलेज के एसोसिएट प्रोफोर अनूप सिंह कहते हैं कि जिन-जिन सरकारों के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लगाया उन-उन सरकारों के लिए संजीवनी बना। आज विपक्ष ने मोदी सरकार के खिलाफ संसद मे अविश्वास प्रस्ताव लेकर आई है, पर प्रधानमंत्री मोदी कांग्रेस के चेहरे से नकाब उतार कर रख देंगे। क्योंकि उनके पास सदन में पर्याप्त बहुमत है और वो यहीं से जनता को अपने कार्यो के बारे में तत्व व प्रमाणिकता के साथ पहुंचाएं। कांग्रेस व विपक्ष के जरिए लाए जाने वाला यह प्रस्ताव सदन में टिक नहीं पाएगा।
Published on:
20 Jul 2018 12:32 pm
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