
फोटो सोर्स- पत्रिका
Kanpur Medical College: Declared living person dead कानपुर में डॉक्टर और स्वास्थ्य कर्मियों की बड़ी लापरवाही सामने आई है जब जिंदा मरीज को मृत घोषित कर दिया गया। पोस्टमार्टम के लिए पुलिस सूचना भेज दी गई। पुलिस शव को कब्जे में लेने के लिए पहुंची तो वह जिंदा निकला। यह देख अस्पताल में हड़कंप मच गया। मामले की जानकारी मिलते ही चिकित्सा अधीक्षक मौके पर पहुंचे और उन्होंने जानकारी मांगी। मेडिकल कॉलेज के प्रधानाचार्य ने जांच के लिए कमेटी गठित की है। दूसरी तरफ स्वास्थ्य मंत्री बृजेश पाठक ने 'एक्स' पर जानकारी दी कि दोषी स्वास्थ्य कर्मियों को निलंबित कर दिया गया है। जांच के लिए तीन सदस्यीय टीम गठित की गई है। मामला जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज कानपुर का है।
उत्तर प्रदेश के कानपुर के जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज में जिंदा आदमी को मुर्दा घोषित करने का मामला सामने आया है। डॉक्टर से मिली जानकारी के आधार पर स्वरूप नगर थाना पुलिस मेडिसिन वार्ड पहुंची और पोस्टमार्टम के लिए कागज तैयार करने लगी। बेड के पास गए तो जांच के दौरान पता चला कि युवक जिंदा है। जिसे डॉक्टर ने मृत घोषित कर दिया था। इसके बाद पुलिसकर्मियों ने डॉक्टर से बातचीत की।
इसके बाद डॉक्टरों को अपनी गलती का एहसास हुआ। बताया गया कि 42 नंबर बेड पर विनोद और 43 नंबर बेड पर 60 वर्षीय लावारिस को भर्ती किया गया था। उपचार के दौरान लावारिस वृद्ध की मौत हो गई। लेकिन डॉक्टरों ने विनोद को मृत्यु घोषित कर दिया और पुलिस सूचना में विनोद का नाम दर्ज करके भेज दिया गया। पुलिस ने सूचना में लिखे मोबाइल नंबर पर संपर्क करके जानकारी प्राप्त की तो घर वाले भी दौड़े चले आए।
प्रमुख चिकित्सा अधीक्षक डॉक्टर आरके सिंह ने बताया कि जूनियर डॉक्टरों की लापरवाही के कारण यह स्थिति उत्पन्न हुई है। इसकी गलती भी उन्होंने मान ली है। उन्होंने धोखे से गलत फाइल भर दी। मेडिकल कॉलेज के प्राचार्य डॉक्टर संजय काला ने मामले की जांच के लिए कमेटी का गठन किया है। फिलहाल लापरवाही बरतने के आरोप में जूनियर डॉक्टर हिमांशु मौर्य, स्टाफ नर्स सोनकर और वार्ड आया रहनुमा को निलंबित कर दिया है।
स्वास्थ मंत्री बृजेश पाठक ने एक्स पर इस संबंध में जानकारी दी है। उन्होंने बताया कि कानपुर में जीवित मरीज को मृत घोषित करने का मामला सामने आया है। इसकी सूचना पुलिस को दी गई थी। इस मामले में ड्यूटी पर तैनात डॉक्टर, नर्सिंग स्टाफ और आया को प्रथम दृष्टया दोषी मानते हुए निलंबित कर दिया गया है। पूरे मामले की जांच के लिए तीन सदस्यीय टीम गठित की गई है। जिसे तीन दिनों में आख्या जांच रिपोर्ट देने को कहा गया है।
Published on:
28 Dec 2025 06:26 pm
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