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बीजेपी सांसद ने सीएम योगी से कर दी बड़ी मांग, मुस्लिम के साथ ही अन्य संस्थानों में दें आरक्षण

संसद अशोक दोहरे ने कहा कि सभी शिक्षण संस्थानों में दलितों के लिए होना चहिए कोटा, सीएम को इस पर कदम उठाना चाहिए

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बीजेपी सांसद ने सीएम योगी से कर दी बड़ी मांग, मुस्लिम के साथ ही अन्य संस्थानों में दें आरक्षण

कानपुर। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय और दिल्ली के जामिया मिलिया विश्वविद्यालय में दलितों के लिए आरक्षण की मांग कर एक तीर से कई निशाने लगाए, लेकिन अब उन्हीं के दल के एक भाजपा सांसद ने आरक्षण को लेकर एक बड़ी मांग कर दी है। इटावा से सांसद अशोक दोहरे ने पत्रिका से खास बातचीत के दौरान कहा कि आजादी के सत्तर साल बीत जाने के बाद आज तक दलितों को न्याय नहीं मिला। आज भी यह वर्ग विकास से कोसों दूर हैं। हम यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से मांग करते थे हैं कि वह मुस्लिमों के साथ ही देश में चल रहीं अन्य शिक्षण संस्थानों में भी आरक्षण दिलाएं, जिससे कि ज्यादा से ज्यादा दलित युवक पढ़ लिखकर अपना और अपने देश का नाम रोशन कर सकें।

मुख्यमंत्री ने क्या दिया था बयान
उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कुछ दिन पहले कन्नौज में एक सभा के दौरान अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी और जामिया मिलिया इस्लामिया में दलित समुदाय के छात्रों के लिए आरक्षण की मांग की थी। योगी ने कहा है कि जिन लोगों को दलितों की चिंता है उन्हें इस मुद्दे को जोरशोर से उठाना चाहिए। योगी ने कहा कि यदि काशी हिंदू विश्वविद्यालय में दलितों को आरक्षण दिया जा सकता है तो अल्पसंख्यकों द्वारा संचालित संस्थानों में क्यों नहीं दिया जा सकता। मुख्यमंत्री ने कहा, यदि बीएचयू दलितों और पिछड़े वर्ग के लोगों को यह आरक्षण दे सकता है तो अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय क्यों नहीं?’ योगी ने पूछा कि राजनीतिक दल इसे लेकर आंदोलन क्यों नहीं नहीं छेड़ते हैं। मुख्यमंत्री के इस बयान के बाद पूरे देश में सियासत गर्म हुई और विपक्ष ने इसे बांटने की राजनीति कही।

सभी संस्थानों में दिलवाएं आरक्षण
मुख्यमंत्री के बयान के बाद खुद उन्हीं की पार्टी के सांसद अशोक दोहरे ने कहा कि देश में गिनती के मुस्लिम विश्वविद्यालय हैं, यहां पर दलितों को दाखिले के लिए आरक्षण की बात सरकार कर रही है। पर ऐसे सैकड़ों अन्य विश्वविद्यालय, सरकारी संस्थाएं व अन्य विभाग हैं जहां आज भी दलित समाज को आरक्षण का लाभ नहीं मिला। सांसद ने कहा कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ सबका, साथ और सबका विकास के फार्मूले के तहत काम रही है। ऐसे में सरकार का कर्तव्य बनता है कि जिन शिक्षण संस्थानों में दलितों को आरक्षण नहीं मिल रहा, वहां व्यवस्था करवाएं। ग्रामीण इलाकों में दलित बच्चों के लिए अच्छी शिक्षा की व्यवस्था करें, जिससे वो भी विकास के मार्ग पर आगे बड़ सकें।

कभी मायावती के रहे हैं करीबी
सांसद अशोक दोहरे मूलरूप से गांव रमापुर जनपद औरैया के निवासी हैं। अशोक दोहरे ने शिक्षा-दिक्षा इटावा से की है। अशोक दोहरे बचपन से भीमराव अंबेडकर को अपना आदर्श मानते थे और इसी के चलते वो मायावती की पार्टी बसपा से जुड़। एक छोटे से कार्यकर्ता से राजनीति में शुरूआत करने वाले अशोक दोहरे बसपा सुप्रीमो मायावती के करीबी हो गए। अशोक दोहरे 2007 में बसपा के टिकट से विधायक चुने गए और मायावती सरकार में कैबिनेट मंत्री रहे। 2012 में पार्टी विरोधी गतिविधियों में शामिल होने की जांच में दोषी पाए जाने पर बसपा प्रमुख मायावती ने अशोक दोहरे को दल से बाहर निकाला दिया। अशोक दोहरे ने बीजेपी में अपनी पैठ बनाकर 2014 लोकसभा चुनाव के लिए इटावा/औरैया लोकसभा क्षेत्र से टिकट ली और सांसद का चुनाव जीत गए। बीजेपी सांसद दोहरे ने बताया कि कुछ नेताओं के चलते उन्हें मायावती ने पार्टी से बाहर निकाला, लेकिन 2017 दके चुनाव में उन नेताओं की पोल खुल गई और आज वो भी बसपा के बजाए दूसरे दलों का दामन थामें हुए हैं।

...तो बसपा में हो सकती है वापसी
बसपा से नसीमद्दीन के हटाए जाने के बाद बसपा से निकाले गए नेताओं की घर वापसी हो गई है। वहीं बीजेपी सांसद जिस तरह से आएदिन अपनी ही पार्टी के खिलाफ बयान दे रहे हैं, इससे लोगों का मानना है कि वह 2019 से पहले हाथी पर सवार हो जाएंगे। बीजेपी से जुड़े एक नेता ने बताया कि पार्टी हाईकमान इन्हें लोकसभा में टिकट नहीं देगा। इसकी भनक सांसद दोहरे को हो चुकी है और इसी के चलते अब वो दलित-मुस्लिम सोशण की बात कर रहे हैं। बसपा के एक पूर्व विधायक आदित्य पांडेय ने बताया कि सांसद अशोक दोहरे जैसे दर्जनों नेताओं ने बसपा की बुनियाद रखी, पर एक’-दो नेताओं के चलते पार्टी के इमानदार नेताओं को बाहर होना पड़ा, पर अब धीरे-धीरे कर हमारे घर में अपने वापस आ रहे हैं और मायावती के बिना समर्थन के दिल्ली में कोई सरकार नहीं बन सकती।

पीएम को पत्र लिख मचा दी थी खलबली
अशोक दोहरे ने दो अप्रेल को ’भारत बंद’ के बाद एससी/एसटी वर्ग के के दौरान हुई हिंसा के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिख कर अपनी शिकायत दर्ज कराई थी। शिकायत में अशोक दोहरे ने कहा है कि 2 अप्रैल को ’भारत बंद’ के बाद एससी/एसटी वर्ग के लोगों को उत्तर प्रदेश सहित दूसरे राज्यों में सरकारें और स्थानीय पुलिस झूठे मुकदमे में फंसा रही है उन पर अत्याचार हो रहा है. सांसद ने उन्होंने आरोप लगाया था कि पुलिस निर्दोष लोगों को जातिसूचक शब्दों का इस्तेमाल करते हुए घरों से निकाल कर मारपीट कर रही है। इससे इन वर्गों में गुस्सा और असुरक्षा की भावना बढ़ती जा रही है। पत्र जैसे ही मीडिया में आया तो स्थानीय भाजपा पदाधिकारी व कार्यकर्ता सांसद के खिलाफ हो गए और सोशल मीडिया के अलावा प्रदेश अध्यक्ष से दोहरे को पार्टी से निकालने की मांग की थी। इसी के बाद वह स्थानीय संगठन से दूरी बनाए हुए हैं।